नोटबंदी की वजह से अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुँचने का आकलन गलत साबित हो रहा है। यह हमारी राय नही है। यह केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) के जारी आंकड़ों में कहा गया है। सीएसओ ने नोटबंदी के बाद पहली बार जारी किये गए तीसरी तिमाही के आंकड़ों में कहा है कि 2016-2017 में विकास दर 7.1 फ़ीसदी रही है। वहीं अगले वित्त वर्ष 2018 में यह आंकड़े 7.3 फ़ीसदी और 2019 में यह 7.7 फ़ीसदी रह सकता है। विकास दर के यह आंकड़े रिज़र्व बैंक के अलावा अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) और आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (ओईसीडी) के उस अनुमान के बाद आये हैं जिसमे नोटबंदी की वजह से विकास दर में गिरावट होने की बात कही गई थी। आर्थिक मामलों के सचिव शशिकांत दास ने कहा कि जीडीपी के आंकड़ों से पता चलता है कि नोटबंदी के नकारात्मक प्रभाव को ज्यादा बढ़ा-चढ़ाकर बताया जा रहा था। भारत ने 7 फीसदी विकास दर को बरकरार रखा है। और वैश्विक अर्थव्यवस्था में यह भारत के हित में है। नोटबंदी के फायदे अप्रैल से दिखने लगेंगे। हालांकि आर्थिक मामलों के सचिव के बयान से उलट नोटबंदी के नकारात्मक असर को आंकड़ों से खारिज करने के बाद मुख्य सांख्यिकी अधिकारी टीसीए अनंत का कहना है कि इस बारे में अभी साफ तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता। आंकड़े जुटाए जा रहे हैं। चालू तिमाही (जनवरी-मार्च) में यह बात ज्यादा साफ होगी।
केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़ों के मुताबिक अक्टूबर-दिसंबर के दौरान कृषि, वानिकी और मत्स्य क्षेत्र में वृद्धि दर 6 फीसदी है ।जो पिछले साल समान अवधि में 3.8 फीसदी बढ़ी थी। इसके अलावा खनन क्षेत्र में 7.5 फीसदी की दर से विकास हुआ जबकि पिछले साल इस दौरान इसमें 1.3 फीसदी की गिरावट आई थी। इस साल की दूसरी तिमाही की तुलना में निर्माण क्षेत्र में तीसरी तिमाही के दौरान कमी देखी गई। इस क्षेत्र की वृद्धि दर केवल 2.7 फीसदी रही जबकि दूसरी तिमाही में यह क्षेत्र 3.2 फीसदी की रफ़्तार से आगे बढ़ने में सफल रहा था। वित्तीय क्षेत्र, रियल एस्टेट और पेशेवर सेवा क्षेत्र की वृद्धि दर दिसंबर में 3.1 फीसदी रही जो दूसरी तिमाही में 7.6 फीसदी बढ़ी थी।
सीएसओ के मुताबिक तीसरी तिमाही में विनिर्माण और कृषि क्षेत्र के अच्छे प्रदर्शन की बदौलत आर्थिक विकास दर उम्मीद से बेहतर रही और अर्थव्यवस्था को नुकसान नहीं पहुंचा। इससे पूर्व अर्थशास्त्रियों, विश्लेषकों और अर्थव्यवस्था पर नज़र रखने वाली एजेंसियों ने नोटबंदी के प्रभाव के कारण जीडीपी के विकास दर को 7 फीसदी से नीचे रहने का अनुमान जताया था। कई रिपोर्टों में इसके 6 फीसदी से भी नीचे रहने का अंदाजा लगाया गया था। इसके अलावा आंकड़ों में दिसंबर तिमाही में बुनियादी नियत मूल्य पर सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) की वृद्धि दर 6.6 फीसदी और पूरे वित्त वर्ष के दौरान इसके 6.7 फीसदी विकास करने की उम्मीद जताई गई है। राजकोषीय घाटों की बात करें तो यह 5.64 लाख करोड़ रहा है।