American society of Nephrology ने कहा कि कोरोना मरीजों के गुर्दें 35% तक खराब हो जाते हैं। कोरोना महामारी की शुरुआत से डॉक्टरों ने पाया है कि जो लोग Covid-19 से इन्फेक्टेड हुए वे अक्सर गुर्दे की समस्याओं से भी जूझते हैं। जबकि आम तौर पर इसके लक्षणों में यह सामने आता है कि यह फेफड़ों (Lungs) को कमजोर कर देता है।
Corona महामारी के शुरुआती लक्षण
एक अध्ययन से पता चला है कि रोगियों के प्रारंभिक संक्रमण से उबरने के बाद गुर्दे की समस्याएं महीनों तक रह सकती हैं और कुछ रोगियों में गुर्दे की कार्यप्रणाली प्रभावित होती है। American society of Nephrology में बुधवार को प्रकाशित अध्ययन में पाया गया कि शुरू में जितने लोग Covid-19 मरीज थे, उनके गुर्दे की क्षति की संभावना अधिक थी। लेकिन कम संक्रमण वाले लोग भी इसकी चपेट आए।
येल में एक नेफ्रोलॉजिस्ट और मेडिसिन के एसोसिएट Professor Dr. Perry Wilson ने कहा कि गुर्दे शरीर में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, रक्त से विषाक्त पदार्थों और अतिरिक्त तरल पदार्थ को साफ करते हैं। एक स्वस्थ रक्तचाप बनाए रखने में भी मदद करते हैं और इलेक्ट्रोलाइट्स और अन्य महत्वपूर्ण पदार्थों का संतुलन बनाए रखते हैं। जब गुर्दे ठीक से काम नहीं करते हैं, तो तरल पदार्थ जमा हो जाते हैं, जिससे सूजन, उच्च रक्तचाप, कमजोर हड्डियां और अन्य समस्याएं होती हैं।
वीए सेंट लुइस हेल्थ केयर अध्ययन के अनुसार
वीए सेंट लुइस हेल्थ केयर सिस्टम और अध्ययन के वरिष्ठ लेखक और अनुसंधान, विकास सेवा के प्रमुख डॉ. ज़ियाद अल-एली ने कहा कि कोरोना से हृदय, फेफड़े, तंत्रिका तंत्र और प्रतिरक्षा प्रणाली क्षीण हो सकती है। गुर्दा रोग, डायलिसिस या अंग प्रत्यारोपण आवश्यक हो सकता है और यह स्थिति घातक हो सकती है।
संक्रमित होने के एक से छह महीने के बीच गैर-कोविड रोगियों की तुलना में कोरोना की चपेट में आए लोगों में गुर्दे की क्षति होने की संभावना लगभग 35% अधिक थी। प्रोफेसर एली ने कहा कि जो लोग कोविड के पहले 30 दिनों में जीवित रहे, उन्हें kidney की बीमारी होने का खतरा है।
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