पंजाब के प्रभारी और उत्तराखंड (Uttarakhand) के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत (Harish Rawat) ने “पंज प्यारे” वाले अपने बयान पर माफी मांग ली है। फेसबुक (Facebook) पर लिखे अपने पोस्ट में हरीश रावत ने खुद को देश के इतिहास का विद्यार्थी बताया और कहा कि “पंज प्यारे” के अग्रणी स्थान की किसी और से तुलना नहीं की जा सकती है। हरीश रावत ने माना कि उनसे गलती हुई है। फेसबुक पर लिखे अपने पोस्ट में हरीश रावत ने कहा, ‘मैं लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए क्षमा प्रार्थी हूं। मैं प्रायश्चित स्वरूप अपने राज्य के किसी गुरुद्वारे में कुछ देर झाड़ू लगाकर सफाई करूंगा।”
“पंज प्यारे” का क्या है मामला
पंजाब की लड़ाई में मध्यस्थ की भूमिका निभाते निभाते कांग्रेस के पंजाब के प्रभारी और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत शब्दों के चयन में खुद ही मात खा गये। हरीश रावत ने 31 अगस्त को पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू से मुलाकात की थी। मुलाकात के बाद हरीश रावत ने प्रेस कांफ्रेंस कर कहा था कि यह मेरी जिम्मेदारी थी कि मैं पंजाब कांग्रेस प्रमुख और उनके सहयोगियों एवं “पंज प्यारे” (नवजोत सिंह सिद्धू् + 4 कार्यकारी अध्यक्ष) से बात करूं। जहां तक मैं जानता हूं नवजोत सिंह सिद्धू ऐसे पहले पंजाब कांग्रेस प्रमुख है जिन्होंने नीचे के सभी पार्टी कार्यकर्ताओं से बात की है और समझा है कि पार्टी में समस्या कहां है और उसे कैसे ठीक किया जा सकता है।
अकाली दल ने किया विरोध
हरीश रावत ने अपने बयान में कांग्रेस प्रमुख और उनके सहयोगियों के लिए ‘पंज प्यारे’ शब्द का उपयोग किया था जिसे लेकर बवाल मच गया। सिरोमणि अकाली दल के नेता दलजीत सिंह चीमा ने इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि हरीश रावत को इसके लिए माफी मांगनी चाहिए। उन्हें ‘पंज प्यारे’ का महत्व पता नहीं है, और ये कोई मजाक नहीं है। हरीश रावत के ‘पंज प्यारे’ वाले बयान पर पंजाब की सियासी गलियारों में काफी आलोचना हो रही है।
हरीश रावत ने क्या लिखा है अपने FB पोस्ट में
पंजाब में ‘पंज प्यारे’ वाले बयान पर विरोध दर्ज कराए जाने के बाद हरीश रावत ने माफी मांग ली। इसके बाद अपने बयान सफाई देते हुए फेसबुक पर एक पोस्ट लिखा।
”कभी आप आदर व्यक्त करते हुये, कुछ ऐसे शब्दों का उपयोग कर देते हैं जो आपत्तिजनक होते हैं। मुझसे भी कल अपने माननीय अध्यक्ष व चार कार्यकारी अध्यक्षों के लिए पंज प्यारे शब्द का उपयोग करने की गलती हुई है। मैं देश के इतिहास का विद्यार्थी हूं और पंज प्यारों के अग्रणी स्थान की किसी और से तुलना नहीं की जा सकती है। मुझसे ये गलती हुई है, मैं लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ। मैं प्रायश्चित स्वरूप अपने राज्य के किसी गुरुद्वारे में कुछ देर झाड़ू लगाकर सफाई करूंगा। मैं सिख धर्म और उसकी महान परंपराओं के प्रति हमेशा समर्पित भाव और आदर भाव रखता रहा हूँ। मैंने चंपावत जिले में स्थित श्री रीठा साहब के मीठे-रीठे, देश के राष्ट्रपति से लेकर, न जाने कितने लोगों को प्रसाद स्वरूप पहुंचाने का काम किया है। जब मुख्यमंत्री बना तो श्री नानकमत्ता साहब और रीठा साहब, जहां दोनों स्थानों पर श्री गुरु नानक देव जी पधारे थे, सड़क से जोड़ने का काम किया। हिमालयी सुनामी के दौर में हेमकुंड साहिब यात्रा सुचारू रूप से चल सके, वहां मेरे कार्यकाल में हुये काम को आज भी देखा जा सकता है। समय कुछ और मिल गया होता तो घंगरिया से हेमकुंड साहब के मार्ग तक रोपवे का निर्माण भी प्रारंभ कर दिया होता। मैं पुनः आदर सूचक शब्द समझकर उपयोग किये गये अपने शब्द के लिये मैं सबसे क्षमा चाहता हूँ।”

पंजाब में कांग्रेस की अंदरूनी लड़ाई का नतीजा चाहे जो हो लेकिन उम्मीद की जानी चाहिए कि इसके बाद पंजाब की सियासत में हरीश रावत द्वारा ‘पंज प्यारे’ से तुलना करने वाले बयान पर राजनीति खत्म हो जाएगी।
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