Supreme Court: जम्मू-कश्मीर विधानसभा सीटों के परिसीमन को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज यानी सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया।जम्मू- कश्मीर में नए परिसीमन के तहत चुनावों का रास्ता साफ हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू- कश्मीर में परिसीमन को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया।जस्टिस अभय एस ओक की अध्यक्षता वाली पीठ ने जम्मू कश्मीर में परिसीमन और विधानसभा सीटों के बदलाव की प्रक्रिया को वैध ठहराया।सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि केंद्र सरकार को अधिकार है कि वह डिलीमिटेशन कमीशन बना सकता है। केंद्र ने अपने अधिकारों का उचित प्रयोग किया है।
दरअसल श्रीनगर के रहने वाले हाजी अब्दुल गनी खान और मोहम्मद अयूब मट्टू ने जम्मू कश्मीर में परिसीमन को चुनौती देते हुए उसे रद्द करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचीका दाखिल की थी।जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस अभय एस ओक की बेंच ने इस मामले पर सुनवाई पूरी कर अपना फैसला सुरक्षित किया था।
हालांकि जस्टिस अभय एस ओक की अध्यक्षता वाली बेंच में जस्टिस ओक ने फैसला सुनाया।जम्मू कश्मीर में परिसीमन के खिलाफ दाखिल याचिकाओं में कहा गया था कि परिसीमन में सही प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया है, जबकि केंद्र ने इसका विरोध किया था।
जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस अभय एस ओका की अध्यक्षता वाली बेंच में मामले की सुनवाई की गई थी। उस दौरान मामले की सुनवाई में याचिकाकर्ताओं की तरफ से कहा गया कि परिसीमन में उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया जबकि केंद्र सरकार, जम्मू-कश्मीर प्रशासन और चुनाव आयोग ने याचिकाकर्ताओं की इस दलील को गलत बताया था।
Supreme Court: याचिकाकर्ताओं ने कहा परिसीमन आयोग का गठन असंवैधानिक
मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओ की ओर से कहा गया कि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीटों के परिसीमन के लिए आयोग का गठन करने में संवैधानिक प्रावधानों का पालन नहीं किया गया है।ऐसे में यह जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम की धारा 63 के मुताबिक नहीं है।
जम्मू कश्मीर में विधानसभा सीटों के परिसीमन में विधानसभा क्षेत्रों की सीमा बदली गई है। इसकी वजह से सीटों की संख्या 107 से बढ़ाकर 114 हो गई है। जिसमें पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की 24 सीटें भी शामिल हैं।कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई के दौरान यह स्पष्ट कर दिया था कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने से जुड़े मसले पर विचार नहीं किया जाएगा बल्कि सिर्फ परिसीमन के मामले पर ही सुनवाई होगी।
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