Success Story: एक उद्यमी का जीवन बड़ी मुश्किलों से भरा होता है, विशेषकर किसी नए व्यवसाय की स्थापना के समय। ये व्यापारिक दिमाग न केवल वित्तीय संकटों का सामना करते हैं बल्कि एक बौद्धिक लड़ाई का भी सामना करते हैं। सफलता पाने के लिए पहले असफल होना सीखना चाहिए, अरबपति अनिल अग्रवाल के लिए यह कहावत सही बैठती है। अपनी पहली फर्म ‘शमशेर स्टर्लिंग केबल कंपनी’ से एक बहुराष्ट्रीय खनन कंपनी के जनक बनने तक, अनिल अग्रवाल के लिए यह आसान रास्ता नहीं था। एक दशक के संघर्ष और कठिनाई ने अग्रवाल को वह सफलता दिलाई जो आज उनके पास है। अग्रवाल अपनी कहानी फेसबुक पोस्ट के माध्यम से बताते हैं जब उनकी किस्मत आखिरकार हमेशा के लिए बदल गई।
ऐसे लंदन स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट हुई ‘वेदांता‘
फेसबुक पोस्ट में अनिल अग्रवाल लिखते हैं, “मैंने हाल ही में परिवार के साथ फिल्म ‘चकदे इंडिया’ देखी। मुझे ये ख़याल आया कि हॉकी के टॉप कप्तान और एक इंटरप्रेन्योर में एक समानता होती है। उन दोनों के पास एक टीम है जो लक्ष्य तक पहुंचने में मदद करती है। एक इंटरप्रेन्योर होते हुए अगर आपको अपनी विनिंग टीम बनानी है, तो आपको हर सदस्य की मज़बूती ढूंढ़नी होगी…बिलकुल वैसे ही, जैसे उन्होंने फ़िल्म में दिखाया है। मैंने अपनी वो ड्रीम टीम वैसे ही बनायी जिसने वेदांता को लंदन स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट कराने में मेरी मदद की।
कई लोगों के मेहनत का नतीजा है ‘वेदांता’
उन्होंने आगे लिखा, “अगर आपको अपनी टीम को मजबूत बनाना है, तो आपको ऐसे खिलाड़ियों की ज़रूरत होगी जो अपनी विशेषज्ञता से तगड़ा गेम प्लान बना सके। जब वेदांता को नयी ऊंचाइयों तक ले जाने की बारी आयी, हमने इन प्रतिभावान खिलाड़ियों को अपने बोर्ड से जोड़ा: ब्राइयन गिल्बर्टसन, जिन्होंने वेदांता को लिस्ट कराने में हमारी मदद करी; माइकल फ़ाउल, KPMG के एक्स-चेयरमैन, आंकड़ों के एक्स्पर्ट; स्व. सर डेविड गोर-बूथ, हमारे पॉलिसी एक्स्पर्ट; सिन्थिया कारोल, कॉर्पोरेट गवर्नेंस एक्स्पर्ट, और ऐसे कई और लोग। धीरे-धीरे लोग हमारे साथ जुड़ते चले गए। हमारी मेहनत रंग लायी और हमें हमारा वर्ल्ड कप मिल गया। ऐसे ही, वेदांता का जन्म हुआ। आप सबने एक युवा बिहारी लड़के के सपनों को सच कर दिया। मैं आपके योगदान के लिए हमेशा आभारी रहूंगा।
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