पिछले 24 साल से सुप्रीम कोर्ट के एमिकस क्यूरी के रूप में काम कर रहे वरिष्ठ वकील रंजीत कुमार ने 50 लाख रूपये फीस के ऑफर से इनकार करके एक मिसाल पेश की है। मंगलवार को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने रंजीत कुमार के व्यवहार की सराहना करते हुए उन्हें अदालत की संपत्ति बताया।
सुप्रीम कोर्ट जनहित के बड़े या महत्वपूर्ण मामलों में याचिकाओं, वादियों के जवाब, हलफ़नामों और दस्तावेज़ों को समझने में अपनी सहायता के लिए किसी न किसी वकील को एमिकस क्यूरी नियुक्त करता है। जिसे आम बोलचाल में कोर्ट का मित्र कहा जाता है।
एमिकस क्यूरी संबंधित मामले में दाखिल होने वाले सभी जवाबों और दस्तावेज़ों का अध्ययन करके कोर्ट को बताता है कि कौन पक्ष क्या कह रहा है। साथ ही उक्त मामले में सरकार का क्या रूख है। एमिकस क्यूरी को सरकार की ओर से हर पेशी पर फ़ीस मिलती है।
सुप्रीम कोर्ट में 24 साल से , दिल्ली में अवैध निर्माण मामले में पिछले बतौर एमिकस क्यूरी सहायता दे रहे वरिष्ठ वकील रंजीत कुमार ने कभी यह फीस नहीं ली। मंगलवार को सुनवाई को दौरान जब यह बात सुप्रीम कोर्ट के जजों के सामने आई थी तो उन्होंने रंजीत कुमार को सरकार से 50 लाख रूपये की फ़ीस दिलवाने की पेशकश की. लेकिन रंजीत कुमार ने हाथ जोड़कर इस फीस को लेने से इनकार कर दिया।
रंजीत कुमार ने कहा कि वे जनहित के मामले में पैरवी कर रहे हैं, पैसे के लिए नहीं। वे चाहते हैं कि उनकी सेवाओं से समाज को कुछ फायदा हो। जजों ने उनके व्यवहार की सराहना करते हुए उन्हें अदालत की संपत्ति बताया। वकील रंजीत कुमार इससे पहले देश सॉलिसिटर जनरल भी रह चुके हैं।