सुप्रीम कोर्ट ने पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों व लोकसभा में इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीन की जगह मतपत्रों के इस्तेमाल का अनुरोध करने वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया है।

चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने एनजीओ न्याय भूमि की इन दलीलों से सहमति नहीं जताई कि ईवीएम का दुरूपयोग हो सकता है और स्वतंत्र तथा निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए उनका उपयोग नहीं किया जाना चाहिए।

कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि, हर प्रणाली में मशीन का उपयोग तथा दुरूपयोग दोनों हो सकता है। आशंकाएं सभी जगह होंगी। आपको बता दें कि ईवीएम को लेकर राजनीतिक दल कई बार सवाल उठाते रहे हैं। अगस्त माह के दौरान तकरीबन सभी विपक्षी दलों ने चुनाव आयोग से कहा था कि ईवीएम के जरिए पारदर्शी चुनाव परिणाम नहीं आ रहे हैं इसलिए मतपत्रों के जरिए चुनाव कराए जाएं।

इन पार्टियों में कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस,बसपा, जद(एस), तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी), समाजवादी पार्टी (एसपी), सीपीएम, आरजेडी, डीएमके, सीपीआई, वाईएसआर कांग्रेस, केरल कांग्रेस मणि और एआईयूडीएफ शामिल हैं।

कांग्रेस पार्टी ने फिर से चुनाव आयोग से अपील करते हुए कहा था 2019 में होने वाले आम चुनाव ईवीएम की बजाए बैलेट पेपर से कराए जाएं। इससे पहले मार्च में कांग्रेस ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) से छेड़छाड़ का आरोप लगाते हुए चुनाव आयोग से कहा था कि वे 2019 में बैलेट पेपर से मतदान कराएं।

हालांकि निर्वाचन आयोग पहली ही साफ कर चुका है कि ईवीएम मशीन पूरी तरह सुरक्षित हैं। किसी भी राजनीतिक दल को संदेह नहीं करना चाहिए। ईवीएम को और पारदर्शी बनाने के लिए वीवीपैट की व्यवस्था भी की गई है। चुनाव आयोग ने अगस्त में 7 राष्ट्रीय और 51 राज्य स्तरीय पार्टियों को चुनाव संबंधी मुद्दों पर चर्चा के लिए बैठक में आमंत्रित किया था। इसमें मतदाता सूची, राजनीतिक दलों का खर्च और वार्षिक अंकेक्षित रिपोर्ट समय पर दाखिल करने सहित कई अन्य मुद्दों पर चर्चा की गई।

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