Delhi Metro: सफर के लिए आप उबर-ओला जैसे राइड-शेयरिंग ऐप का उपयोग कर सकते हैं, या ऑटो रिक्शा ले सकते हैं, लेकिन, कई बार ट्रैफिक की समस्या होती है। शायद यही कारण है कि दिल्ली में रहने वाले लाखों लोग मेट्रो में सफर करते हैं। हालांकि, इसका ये मतलब नहीं है कि लोग राइड-शेयरिंग ऐप का उपयोग नहीं करते। दिल्ली मेट्रो राजधानी वासियों के लिए लाइफलाइन बन चुकी है। वहीं, मेट्रो का सफर किसी अन्य साधन से उपयुक्त भी है। मेट्रो का सफर शहर को जानने का एक शानदार तरीका भी है और यह आपके पैसे भी कुछ हद तक बचाता है। लेकिन, क्या आप दिल्ली मेट्रों से जुड़े कुछ जरूरी बातें जानते हैं? जैसे दिल्ली मेट्रो के कितने रंग हैं? कब इसकी शुरूआत हुई थी? अगर नहीं जानते हैं तो आप बिल्कुल सही जगह पर आए हैं। यहां हम दिल्ली मेट्रो से जुड़ी कुछ बातें बताते हैं:
राजधानी दिल्ली के मेट्रो का इतिहास
दिल्ली में मेट्रो सिस्टम अभी भी नया ही है। हालांकि इसकी शुरुआत दिसंबर 2002 में हुई थी। वैसे सबसे पहले 3 मई 1995 को अस्तित्व में आई थी दिल्ली मेट्रो। बीते 27 सालों में दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन ने 250 किलोमीटर से लंबा नेटवर्क स्थापित कर लगभग 50 लाख लोगों के आवागमन को सुगम बनाया है। 24 दिसंबर 2002, इस दिन पहली बार 8.4 किलोमीटर लंबे शाहदरा – तीसहजारी कॉरीडोर पर मेट्रो दौड़ी थी। इस कॉरीडोर पर सिर्फ 6 स्टेशन थे। बाद में 11 नवंबर 2006 में पहले फेज के अंतिम कॉरीडोर (बाराखंभा से इंद्रप्रस्थ) के बीच मेट्रो ट्रेन का परिचालन शुरू हुआ। इस कॉरीडोर पर 59 स्टेशन बनाए गए। तब से लेकर अब तक दिल्ली मेट्रो का बहुत विस्तार हुआ है। अब रोजाना एक लाख किलोमीटर से अधिक दूरी तय करती है मेट्रो।
दिल्ली मेट्रो के कई रंग
मेट्रो में 9 मुख्य लाइनें हैं, जिन्हें रंग से विभाजित किया गया है। इसमें लाल, पीला, नीला, हरा, बैंगनी, मैजेंटा और गुलाबी साथ ही एक आठवीं, नारंगी लाइन है, जो सीधे हवाई अड्डे तक जाती है। इसके अलावा ग्रे लाइन भी है। भूमिगत और जमीन के ऊपर कुल मिलाकर लगभग 184 मेट्रो स्टेशन हैं। सभी स्टेशन वातानुकूलित हैं।
कैसे करें मेट्रो की यात्रा?
सबसे पहले टिकट या कार्ड लेने के लिए आपको स्टेशन के टिकट काउंटर पर जाना होगा। यदि आप बार-बार यात्रा करते हैं तो कार्ड बेहतर विकल्प है। आप एक विशेष पर्यटक कार्ड भी खरीद सकते हैं, जो आपको सीमित दिनों के लिए असीमित संख्या में राइड की सुविधा देता है। कार्ड का न्यूनतम शुल्क 200 रुपये है। कार्ड के लिए 150 रुपये + 50 रुपये, हालांकि कार्ड रिफंडेबल है। वहीं, तीन दिन का टूरिस्ट कार्ड 500 रुपये (कार्ड के लिए 450 रुपये + 50 रुपये) है। जिसे आप लौटा भी सकते हैं। किराया के लिए कोई निर्धारित दर नहीं है। बल्कि, यह इस बात पर आधारित है कि आप कहां जा रहे हैं। न्यूयॉर्क जैसे शहरों के विपरीत, जहां मेट्रो की सवारी के लिए एक निर्धारित दर है, चाहे आप कहीं भी जा रहे हों, दिल्ली मेट्रो आपसे आपकी यात्रा की दूरी के आधार पर शुल्क लेती है।
मेट्रो में छह से आठ डिब्बे होते हैं
बता दें कि प्रत्येक मेट्रो ट्रेन में लगभग छह से आठ डिब्बे होते हैं, जिनमें से एक केवल महिलाओं के लिए आरक्षित होता है। मेट्रो सिस्टम 2002 में शुरू हुई, लेकिन महिलाओं के लिए आरक्षित डिब्बे 2010 से है। आश्चर्य की बात नहीं है, हालांकि, जैसा कि अक्सर लिंग संबंधी पहल के मामले में होता है, दिल्ली में केवल महिलाओं की कार के अस्तित्व के बारे में थोड़ी बहस होती रही है। बोर्ड करने से पहले आपके बैग को स्कैन किया जाएगा और यदि आपके बैग का वजन 15 किलोग्राम से अधिक है तो आप कुछ स्टेशनों पर बोर्ड नहीं कर सकते। प्रत्येक मेट्रो स्टेशन पर एक्स-रे स्कैनिंग मशीन होती है जो आपके बैग की पहले जांच करती है।
मेट्रो में खाने की अनुमति नहीं
दिल्ली मेट्रो स्टेशनों में कियोस्क हैं जहां आप कॉफी, चाय और स्नैक्स खरीद सकते हैं। कुछ स्टेशनों में लोकप्रिय स्थानीय और अंतरराष्ट्रीय फूड कोर्ट भी हैं जहां आप भरपेट भोजन खरीद सकते हैं।
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