Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने कॉलेजियम की बैठकों का एजेंडा और कार्यवाही सार्वजनिक किए जाने की मांग को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि कॉलेजियम में जो भी चर्चा होती हैं। उसे उस उस समय तक अपलोड नहीं किया जा सकता जब तक कि उस पर कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया जाता। कोर्ट ने कहा कि कॉलेजियम द्वारा एक उचित विचार-विमर्श और चर्चा के बाद जब कोई अंतिम निर्णय लेकर मसौदा तैयार कर उस पर हस्ताक्षर कर लिया जाता है। तभी इसे एक औपचारिक निर्णय माना जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि मीडिया में आई कुछ रिपोर्ट या लेख पर कोई भरोसा नहीं किया जा सकता है। हालांकि कोर्ट ने अपने फैसले में मीडिया की उस रिपोर्ट पर जिसमें कॉलेजन के सदस्य द्वारा मीडिया में दिए गए इंटरव्यू पर टिप्पणी करने से इंकार कर दिया है।
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Supreme Court: यह RTI के दायरे में नहीं आता
दरअसल दिल्ली हाई कोर्ट ने RTI के तहत 2018 की एक कॉलेजियम बैठक की सूचना देने से इनकार कर दिया था। जिसके खिलाफ सामाजिक कार्यकर्ता अंजलि भारद्वाज ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। उन्होंने इस याचीका में कॉलेजियम की बैठक के पॉइंटर्स को सार्वजनिक किए जाने की मांग की गई थी।
कोर्ट ने कहा कि RTI के जरिए सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम के बैठक की जानकारी नहीं मिल सकेगी। कोर्ट ने 12 दिसंबर 2018 को हुई कॉलेजियम बैठक की जानकारी सार्वजनिक करने की याचिका को खारिज कर दिया है। इतना नहीं कोर्ट ने यह भी कहा है कि कॉलेजियम की बैठक आरटीआई के दायरे में नहीं आती है। बैठक के विवरण का खुलासा करने की मांग वाली याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी गई है।
कॉलेजियम सिस्टम क्या है?
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट और राज्यों के हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा ही कॉलेजियम सिस्टम बनाया गया। इसमें सर्वोच्च न्यायालय के 4 जज और CJI इसका नेतृत्व करते हैं। इस सिस्टम के जरिए जजों की नियुक्ति के साथ, उनके तबादले को लेकर निर्णय लिया जाता है।
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