असम में एनआरसी ड्राफ्ट को लेकर पश्चिम बंगाल की सीएम और टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी तमाम विपक्षी दलों को मोदी सरकार के खिलाफ लामबंद करने में जुटी हैं। वहीं इस मुद्दे पर खुद उनकी पार्टी में बिखराव शुरू हो गया है। असम के टीएमसी प्रमुख दीपेन पाठक ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।उन्होंने साफ-साफ कहा कि एनसीआर के मुद्दे पर ममता बनर्जी देश का माहौल खराब कर रही हैं, जबकि हकीकत में कुछ भी ऐसा नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर राज्य का माहौल खराब होता है, उसकी जिम्मेदार वही होंगी।
NRC मुद्दे पर TMC पार्टी में बिखराव शुरू
एक तरफ बीजेपी असम में एनआरसी ड्राफ्ट लाने का क्रेडिट ले रही है वहीं कांग्रेस पर इसकी शुरूआत कर पीछे हटने के तोहमत लगा रही है। मोदी विरोध और भगवा के पांव पसारने से डरी ममता बनर्जी और विपक्ष इसे लेकर विरोध में एकजुट हैं। असम की तर्ज पर अब देश के दूसरे कई राज्यों में भी एनआरसी की मांग शुरू हो गई है। बीजेपी ने पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, दिल्ली और यूपी में तो राज ठाकरे ने मुंबई में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजंस बनाने की मांग की है।
ममता को मोदी का डर, वोट बैंक खोने का डर
ममता बनर्जी को इसी बात का डर है कि कहीं पश्चिम बंगाल में एनआरसी प्रक्रिया को लागू किया गया तो इसका फायदा बीजेपी न उठा ले। यही वजह है कि, असम में एनआरसी लिस्ट में शामिल लोगों पर ममता बरसा रहीं हैं।लेकिन ममता का दांव उल्टा पड़ता दिख रहा है असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स मामले पर विपक्षी को एक करने में लगी ममता की पार्टी में ही विद्रोह हो चुके हैं। असम में टीएमसी के दो नेताओं दिगंत सैकिया और प्रदीप पचोनी ने भी पार्टी को टाटा बोल दिया है।ऐसे में साफ है कि, देश में बांग्लादेशी घुसपैठियों के बारे में बेहतर जानकारी रखने वाली ममता बनर्जी की एनआरसी के मुद्दे पर सियासत का पैमाना आखिर क्या है?