COP 27: मिस्र का तटीय शहर शर्म अल-शेख़ में हाल ही में अचानक सुर्खियों में आया है। संयुक्त राष्ट्र के वार्षिक जलवायु सम्मेलन कॉप27 का आयोजन यहां किया गया है।बीते रविवार को कार्यक्रम के उदघाटन सत्र को संबोधित करते हुए जलवायु परिवर्तन मामलों के लिये यूएन संस्थान नए कार्यकारी सचिव साइमन स्टीएल ने कहा कि विश्व को मानवता की विशालतम चुनौती से निपटने कि दिशा में आगे बढ़ाने में मदद मिलनी चाहिए। इस क्रम में उन योजनाओं को लागू किया जाना महत्वपूर्ण है जिन पर अतीत में सहमति बनी है। यह सम्मेलन 18 नवंबर तक चलेगा और इसमें तमाम वैश्विक नेताओं के इकट्ठा होने की संभावना है।
उन्होंने शर्म अल-शेख़ में सम्मेलन स्थल के मुख्य आयोजन कक्ष में एकत्र प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए कहा कि “आज एक नया युग आरम्भ हुआ है, और हम चीजों को अलग ढंग से करना शुरू करेंगे।” उन्होंने कहा कि “पेरिस ने हमें समझौता दिया, कैटोविच और ग्लासगो ने हमें योजना दी। शर्म अल-शेख़ हमें इन्हें लागू करने की दिशा में आगे बढ़ाता है।”हालांकि “इस यात्रा में कोई भी पक्ष केवल यात्री नहीं रह सकता है, यह एक संकेत है कि समय बदल गया है।”
जलवायु मामलों के लिए संयुक्त राष्ट्र के शीर्ष अधिकारी साइमन स्टीएल के अनुसार नेताओं ने पिछले वर्ष ग्लासगो सम्मेलन कॉप26 के दौरान जो वादे किए, उन सभी पर उनसे जवाब मांगा जाएगा।
COP 27: आखिर क्या होता है COP27 का मतलब ?
COP 27: दरअसल संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर हर साल एक शिखर सम्मलेन का आयोजन करता है। जिसे COP के नाम से जाना जाता है। COP का मतलब है ‘कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज’ यानी पार्टियों का सम्मेलन। क्योंकि ये 27वां सम्मेलन है, इसलिए इसे COP27 नाम दिया गया है। इन सम्मेलनों में वे सभी देश हिस्सा लेते हैं जिन्होंने 1992 के UN जलवायु समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। ऐसे देशों की संख्या लगभग 200 है।जानकारी के अनुसार 198 देश इस पर मोहर लगा चुके हैं और इसकी लगभग सार्वभौमिक सदस्यता है। पेरिस समझौते पर 2015 में सहमति बनी और यह इसी संधि का एक विस्तारित रूप है।
COP 27: धरती हो रही गर्म
लगातार बढ़ती इंसानी गतिविधियों के कारण धरती गर्म होती जा रही है। जिससे जलवायु परिवर्तन हो रहा है, तापमान में तब्दीली आ रही है। UN के अनुसार, औद्योगिक क्रांति के बाद से वैश्विक तापमान 1.1 डिग्री सेल्सियस बढ़ चुका है।अगर यह 1.5 डिग्री से अधिक जाता है तो जलवायु परिवर्तन को रोकना असंभव हो जाएगा। मानवता का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा। हालिया समय में भयंकर गर्मी, ठंड, बाढ़, तूफान और सूखों जैसे जलवायु परिवर्तन के विनाशकारी दुष्प्रभाव देखने को भी मिले हैं।
COP 27: 2070 तक नेट जीरो उत्सर्जन था भारत का लक्ष्य
गौरतलब है कि पिछले साल स्कॉटलैंड के ग्लासगो में आयोजित COP26 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐलान किया था कि भारत 2070 तक नेट जीरो उत्सर्जन के लक्ष्य को हासिल कर लेगा।ये पहली बार था जब भारत ने जीरो उत्सर्जन को लेकर कोई वादा किया था। हालांकि अभी भी भारत अन्य देशों से पीछे है। अमेरिका और यूरोपीय देशों ने 2050 और चीन ने 2060 तक नेट जीरो उत्सर्जन हासिल करने का लक्ष्य रखा है।
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