UNHRC: भारत ने शिंजियांग क्षेत्र में मानवाधिकार की स्थिति पर चर्चा के लिए यूएनएचआरसी में एक मसौदा प्रस्ताव पर मतदान में हिस्सा नहीं लिया। दरअसल, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग ने 6 अक्टूबर, 2022 को शिंजियांग क्षेत्र में चीन के मानवाधिकारों के उल्लंघन पर चर्चा करने के लिए एक प्रस्ताव पर मतदान किया। लेकिन वोट चीन के पक्ष में पड़े।
तो यह सब कैसे सुलझ गया?
प्रस्ताव कनाडा, ब्रिटेन, अमेरिका, डेनमार्क, फिनलैंड, आइसलैंड, नॉर्वे, स्वीडन और तुर्की सहित कोर समूह द्वारा प्रस्तुत किया गया था। 47 सदस्यीय परिषद में से 19 देशों ने प्रस्ताव को खारिज कर दिया, 17 ने इसे स्वीकार किया और 11 ने मतदान से परहेज किया। चौंकाने वाली बात यह है कि प्रस्ताव को खारिज करने वालों में इंडोनेशिया, कतर, पाकिस्तान, उज्बेकिस्तान, कजाकिस्तान, यूएई और सूडान शामिल थे। इसके अलावा, वोट से दूर रहने वाले देशों में भारत और यूक्रेन थे। चीन पर आरोप लगा था कि उइगर मुसलमानों और अन्य जातीय मुस्लिम अल्पसंख्यकों को शिंजियांग क्षेत्र में निशाना बनाया गया है।
भारत ने मतदान से परहेज क्यों किया?
भारत ने वोट से दूर रहने का कारण बताया है। पिछले कुछ वर्षों में चीन और भारत के बीच संबंधों को देखते हुए, यह आश्चर्य की बात थी कि भारत ने चीन के खिलाफ पश्चिमी देशों के प्रस्ताव का समर्थन नहीं किया। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि यह किसी देश विशिष्ट प्रस्ताव पर मतदान में’ हिस्सा नहीं लेने के उसके दीर्घकालिक चलन पर आधारित है। गौरतलब है कि सैंतालीस सदस्यीय परिषद में यह मसौदा प्रस्ताव खारिज हो गया, क्योंकि 17 सदस्यों ने पक्ष में तथा चीन सहित 19 देशों ने मसौदा प्रस्ताव के विरुद्ध मतदान किया। भारत, ब्राजील, मैक्सिको और यूक्रेन सहित 11 देशों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया।
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