Grap: राजधानी में बदलते मौसम और प्रदूषण को फैलने से रोकने के लिए सरकार ने कमर कस ली है।दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण की रोकथाम के लिए जल्द ही ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान ग्रैप लागू होने वाला है।जानकारी के अनुसार इस बार ग्रैप नियत समय से 15 दिन पूर्व यानी 15 अक्टूबर से 15 फरवरी के बीच तक लागू रहने की संभावना है।
दरअसल राजधानी और इससे सटे एनसीआर में हर वर्ष सर्दियों के दौरान प्रदूषण का सामना करना पड़ता है।प्रदूषण के चलते हवा बेहद खतरनाक स्तर पर पहुंच जाती है।इसके चलते स्कूल, कॉलेज आदि बंद करने पड़ते हैं। इसके साथ ही निर्माण कार्य एवं डीजल वाहनों पर भी प्रतिबंध लगाना पड़ता है।इसी मसले पर दिल्ली सरकार ने एक 11 सदस्यीय उप समिति का गठन किया था।इस वर्ष ग्रैप के प्रावधानों में भी कुछ बदलाव किया गया है।

Grap: यहां जानिए ग्रैप के तहत इन 4 चरणों में होगा काम

Grap: पहले चरण में प्रदूषण फैलाने वाले उद्यमों और वाहनों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।कचरा जलाने पर अभियान चलाकर कार्रवाई करने की योजना है।
दूसरे चरण में होटल-रेस्तरां के तंदूर में कोयले और लकड़ी जलाने पर पाबंदी होगी। आवश्यक सेवाओं को छोड़कर डीजल संचालित जनरेटर पर पाबंदी लगाई जाएगी।
तीसरे चरण में सभी निर्माण और ध्वस्तीकरण के कार्यों पर रोक लग सकती है। रेलवे, एयरपोर्ट, आईएसबीटी, राष्ट्रीय सुरक्षा महत्व से जुड़ी परियोजनाओं और मेट्रो आदि पर छूट रहेगी।स्वच्छ ईंधन पर नहीं चलने पर ईंट भट़ठे, हॉट मिक्स प्लांट और स्टोन क्रशर को दिल्ली-एनसीआर में बंद किया जा सकता है। दिल्ली-एनसीआर की राज्य सरकारें बीएस-3 संचालित पेट्रोल और डीजल वाहनों पर प्रतिबंध लगा सकती है।

चौथे चरण के तहत दिल्ली में ट्रकों के प्रवेश पर पाबंदी लगाई जा सकती है। लेकिन आवश्यक सामान लाने वाले भारी वाहनों को इसमें छूट मिलेगी।इसके साथ ही स्वच्छ ईंधन पर नहीं चलने वाले उद्यमों पर भी पाबंदी लग सकती है।
Grap: जानिए क्या है ग्रैप?
प्रदूषण की रोकथाम के लिए वर्ष 2017 में ग्रेडेड रिस्पॉन्स सिस्टम यानी ग्रैप को लॉन्च किया गया। इसके तहत प्रदूषण का स्तर बढ़ने के साथ ही अलग-अलग प्रतिबंधात्मक उपायों को लागू किया जाता है।
संबंधित खबरें
- Parali: पंजाब में जल रही पराली का Delhi-NCR में असर दिखना शुरू, खराब हो रहा Air Quality Index
- Supreme Court के आदेश की इन्हें नहीं परवाह, Aravali में नहीं रूक रहा अवैध खनन, सिरे नहीं चढ़ी पर्यावरण संरक्षण की योजना