Allahabad HC: त्‍वरित न्‍याय मिलने में देरी पर HC की फटकार कहा- न्‍यायिक भ्रूण हत्‍या के सिवाय कुछ नहीं

Allahabad HC: कोर्ट ने कहा कि राशि का भुगतान उत्‍तर प्रदेश विधिक सेवा प्राधिकरण रेनू दयाल को 8 हफ्ते के अंदर करे।परिवार अदालत झांसी ने 29 सितंबर 1998 को पत्नी को 1 हजार रुपये महीने गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया था

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Allahabad HC:इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण टिप्पणी में कहा कि पत्‍नी को गुजारे भत्‍ता दिलवाने में हुई देरी और कोर्ट की ढिलाई के चलते 24 साल बाद भी न्‍याय नहीं हुअ। कोर्ट ने कहा कि त्वरित न्याय दे पाने की विफलता न्‍यायिक भ्रूण हत्या के सिवाय कुछ नहीं है।हाईकोर्ट ने न्याय में देरी पर महिला को 5 हजार रुपये देने का निर्देश दिया।

कोर्ट ने कहा कि राशि का भुगतान उत्‍तर प्रदेश विधिक सेवा प्राधिकरण रेनू दयाल को 8 हफ्ते के अंदर करे।परिवार अदालत झांसी ने 29 सितंबर 1998 को पत्नी को 1 हजार रुपये महीने गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया था।जिसके खिलाफ पति की आपराधिक पुनरीक्षण याचिका कोर्ट ने खारिज कर दी।

Allahabad HC: justice delayed
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Allahabad HC: याची ने हाईकोर्ट में इस मामले को चुनौती दी

याची अनिल अल्बर्ट की ओर से दाखिल याचिका में कोर्ट ने 24 साल तक याचिका तय न कर पाने को न्याय के साथ बड़ा मजाक करार दिया।रेलवे में मजदूर पति अनिल अल्बर्ट ने 6 अक्टूबर 1999 को हाईकोर्ट में इस मामले को चुनौती दी थी। इस मामले की सुनवाई के दौरानइलाहाबाद हाईकोर्ट की महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा कि नागरिकों की स्वतंत्रता पुलिस की शिथिलता पर नहीं छोड़ी जा सकती।

कोर्ट ने कहा कि मांगी गई जानकारी नहीं देने से सुनवाई स्थगित करनी पड़ती है,जोकि न्याय प्रशासन में हस्तक्षेप है।कोर्ट ने कहा इसके लिए माफ नहीं किया जा सकता।कोर्ट ने प्रदेश के डीजीपी को मामले में स्वयं उचित आदेश देने का निर्देश दिया। अब इस मामले की सुनवाई 13 अक्टूबर को होगी।

Allahabad HC: सीओ और विवेचक तलब

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एक अन्‍य मामले में कोर्ट ने पेश देशदीपक सिंह क्षेत्राधिकारी हाईवे, मुरादाबाद और दरोगा भोजपुर बिपिन कुमार को अगली तिथि पर हाजिर न होने की छूट दी है।कोर्ट ने आदेश की प्रति महानिबंधक के मार्फत डीजीपी भेजने का निर्देश दिया है।कोर्ट ने ये आदेश याची विनीत कुमार की अपील की सुनवाई करते हुए दिया।याची का कहना है कि पीड़िता अस्पताल में भर्ती हुई थी।इसके कुछ घंटे में ही उसकी मौत हो गई।

उससे पहले उसने बयान भी दिया जिसकी वीडियो रिकॉर्डिंग भी हुई है।पीड़िता का बयान केस डायरी का हिस्सा है, कोर्ट ने अपर शासकीय वकील से इस मामले की जानकारी मांगी,लेकिन सूचना के बावजूद कोई जानकारी नहीं दी गई।जिस पर कोर्ट ने सीओ और विवेचक को तलब किया।कोर्ट ने पूछा कि सूचना के बावजूद जानकारी क्यों नहीं दी गई,जस्टिस संजय कुमार सिंह की सिंगल बेंच ने इस मामले में आदेश दिया।

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