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Private Part Worship During Wedding: दुनिया भर में शादी से जुड़ी कई परंपराएं है, जिन्हें लोग सालों से निभाते आ रहे हैं। भारत में ऐसी अनेकों मान्यताएं हैं जिनके बारे में भी लोगों को पूरी जानकारी नहीं है। मगर ये परंपराएं लोग सालों से निभाते आ रहे हैं। आज हम आपको ऐसी ही एक परंपरा के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में शायद ही आपने कभी पढ़ा होगा। ये अनोखी परंपरा निभाई जाती है राजस्थान के पाली से 25 किलोमीटर दूर बूसी कस्बे में निभायी जाती है। जहां वर-वधू के प्राइवेट पार्ट की पूजा की जाती है।
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Private Part Worship During Wedding: आखिर क्यों की जाती है प्राइवेट पार्ट की पूजा?
दरअसल, इस कस्बे में मौजीराम जी और मौजनी देवी का एक प्राचीन मंदिर है। इस इलाके में यह मान्यता है कि मौजीराम भगवान शिव के और मौजनी मां पार्वती की अवतार हैं। धुलंडी पर दोनों की शादी कराई जाती है लेकिन इसकी तैयारी कस्बे में महीने पहले से शुरू हो जाती है। इस अनोखी शादी में शामिल होने के लिए हजारों लोग बाहर से आते हैं।
आम शादियों के जैसे कार्ड भी छपता है। इसे कस्बे के हर घर में बांटे जाते हैं। परंपरा के अनुसार गांव के बड़े-बुजुर्गों को पीले चावल वाला कार्ड दिया जाता है। सारी रस्में पूरी होने के बाद दोनों के सात फेरे होते हैं। फेरों के बाद सुहागरात पर दोनों का मिलन करवाया जाता है। बाद में महाप्रसाद का वितरण होता है और बारात वापस लौट जाती है। मान्यता है कि यहां मौजीराम और मौजनी सुहागरात के बाद बिछड़ जाते हैं।
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Private Part Worship During Wedding: प्राइवेट पार्ट की होती है पूजा
इस अनोखी शादी में वर-वधू के प्राइवेट पार्ट की पूजा की जाती है। पूजा करने के पीछे लोगों का मानना है कि ऐसा करने से उन्हें संतान की प्रप्ति होगी। इस पूजा को करके लोग वैवाहिक जीवन में समृद्धि की कामना करते हैं। इस पूजा के जरिए लोग नयी पीढ़ी को सेक्स एजुकेशन की शिक्षा देते हैं।
Private Part Worship During Wedding: गाली देकर होता है दूल्हे का स्वागत
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इन सब अनोखी परंपराओं के बीच एक परंपरा ये भी है कि यहां के लोग बारात लेकर आए दूल्हे का स्वागत गालियों के साथ करते हैं। यहां पहले मौजीराम की प्रतिमा की रीति-रिवाज के साथ पूजा की जाती है। उसके बाद उनके प्राइवेट पार्ट को सजाया जाता है। उसके बाद मौजीराम को गांव के युवक अपने कंधे पर बिठाते हैं।
इस दौरान गालियों के शोर के साथ बिंदौली निकाली जाती है। इसके बाद उस प्रतिमा को पूरी तरह से सजाया जाता है। यहां से नाचते गाते हुए दू्ल्हा बने मौजीराम, दुल्हन मौजनी देवी के घर पहुंचते हैं। इस दौरान महिलाएं फूल बरसा कर उनका स्वागत करती हैं औऱ इस दौरान गालियां भी देती हैं। गालियां गानों के माध्यम से दी जाती हैं।
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