एक उम्मीदवार को दो जगहों से चुनाव लड़ने पर रोक लगाने की याचिका पर बुधवार (4 अप्रैल) सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। केंद्र ने इस मामले में जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा है। जिसके बाद अब सुप्रीम कोर्ट जुलाई के पहले हफ्ते में सुनवाई करेगा। हालांकि चुनाव आयोग ने एक प्रत्याशी के एक सीट पर ही चुनाव लड़ने की याचिका का समर्थन किया है।
चुनाव आयोग ने बुधवार (4 अप्रैल) को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा कि वह एक प्रत्याशी के एक सीट पर ही चुनाव लड़ने की मांग का समर्थन करता है। चुनाव आयोग ने हलफनामे में लिखा है कि उम्मीदवारों को एक से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने से रोका जाना चाहिए। आयोग ने ये भी कहा है कि दो सीटों पर चुनाव लड़ने से न सिर्फ सरकारी खजाने पर बोझ पड़ता है बल्कि विजेता उम्मीदवारों के मतदाताओं के साथ भी अन्याय होता है। चुनवा आयोग की याचिका में ये भी मांग की गई है कि अगर फिर भी उम्मीदवार ऐसा करते हैं तो खाली हुई सीट के लिए उप-चुनावों में खर्च होने वाली रकम की भरपाई उनसे करवाई जानी चाहिए।
वकील और बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की हुई है जिस के जवाब में चुनाव आयोग ने हलफनामा दिया है। अश्विनी उपाध्याय की याचिका के में लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 33(7) को चुनौती दी गई है और मांग की गई है कि संसद और विधानसभा समेत सभी स्तरों पर एक उम्मीदवार के दो सीटों पर चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगाया जाए। चुनाव आयोग इससे पहले भी इस सुझाव को अपना समर्थन दे चुका है और 2004 और 2016 में इसके संबंध में सरकार को प्रस्ताव भी दिया गया था। अश्विनी उपाध्याय ने याचिका में कहा है कि लोकतंत्र का यही तकाजा है कि एक प्रत्याशी एक जगह से चुनाव लड़े। दो जगह से चुनाव जीतने के बाद एक सीट खाली करनी पड़ती है और उपचुनाव होने पर सरकारी खजाने पर बोझ पड़ता है।