Bilkis Bano Gang Rape Case: 5 महीने की प्रेग्नेंट महिला से गैंगरेप, परिवार के 7 सदस्यों की हत्या, फिर भी मुजरिमों की रिहाई; जानें बिलकिस बानो केस से जुड़ी पूरी कहानी

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Bilkis Bano Case
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Bilkis Bano Gang Rape Case: बिलकिस बानो रेप केस में 11 दोषियों को रिहा कर दिया गया है। दरअसल, यह फैसला गुजरात सरकार की ओर से लिया गया है। बताया जा रहा है कि यह सभी आरोपी गुजरात के गोधरा जेल में बंद थे और अपनी सजा के 15 साल पूरे करने के बाद वे बाहर की दुनिया देखेंगे। हालांकि, गुजरात सरकार के इस फैसले की आलोचना भी की जा रही है।

Bilkis Bano
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Bilkis Bano Gang Rape Case: ये है पूरा मामला…

  • दरअसल 27 फरवरी, 2002 को गुजरात में हुए दंगे के दौरान गोधरा स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस के एक कोच में आग लगा दी गई थी। इस आग्निकांड में लगग 60 कारसेवकों की मौत हो गई थी। इसके बाद दंगे और ज्यादा भड़क गए, जिससे बचने के लिए बिलकिस बानो अपने परिवार और बच्चों के साथ वहां से भाग गई।
  • Bilkis Bano ने जहां अपने परिवार और बच्चों को छिपाया था, वहां अचानक एक दिन 30-40 लोगों की भीड़ लाठी और तलवार लेकर पहुंच गई। इन लोगों ने बारी-बारी Bilkis Bano के साथ दुष्कर्म किया और उनके परिवार के सात सदस्यों को मौत के घाट उतार दिया। इनके परिवार के लगभग 6 लोग अपनी जान बचाकर वहां से भाग गए थे।
  • बताया जाता है बिलकिस बानो के साथ सामूहिक दुष्कर्म की यह वीभत्‍स घटना तब हुई जब वे पांच माह की गर्भवती थी।
  • इस दुखद घटना पर शर्मिंदगी जाहिर करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को जांच के आदेश दिए और 2004 में सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया। इस मामले में ट्रायल अहमदाबाद में शुरू किया गया था लेकिन सभी को यह डर सता रहा था कि Bilkis Bano को धमकियां मिलने और गवाहों को धमकाया जा सकता है। साथ ही लोगों को यह भी शंका थी कि सबूतों और दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ किया जा सकता है। जिसके कारण मामले को अहमदाबाद से मुम्बई ट्रांसफर कर दिया गया।
  • इसके बाद बॉम्बे हाईकोर्ट ने 11 दोषियों को 21 जनवरी, 2008 को उम्रकैद की सजा सुनाई। कई कैदियों को सबूतों के अभाव के कारण पहले ही रिहा कर दिया गया था और एक आरोपी की ट्रायल के दौरान ही मौत हो गई थी।
  • बॉम्बे हाईकोर्ट ने सजा को बरकरार रखते हुए साल 2009 में Bilkis Bano को 50 लाख नकद के साथ नौकरी और घर देने का भी आदेश दिया।
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Bilkis Bano Gang Rape Case: दोषियों को क्यों मिली रिहाई?

  • दरअसल, इस मामले में कुल 11 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। इन आरोपियों में जसवंतभाई नाई, गोविंदभाई नाई, शैलेष भट्ट, राधेश्याम शाह, बिपिन चंद्र जोशी, केसरभाई वोहानिया, प्रदीप मोरधिया, बाकाभाई वोहानिया, राजूभाई सोनी, मितेश भट्ट और रमेश चंदाना शामिल हैं।
  • आरोपी राधेश्याम साह ने CRPC की धारा 432 और 433 के तहत सजा माफ करने के लिए गुजरात हाईकोर्ट की ओर रुख किया। लेकिन गुजरात हाईकोर्ट ने यह कहकर फैसला टाल दिया कि यह मामला बॉम्बे हाईकोर्ट में चल रहा है तो रिहाई का फैसला भी महाराष्ट्र सरकार का होगा। इसके बाद आरोपी शाह ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और याचिका में बताया कि बिना किसी छूट के उन्होंने 15 साल से लंबे समय तक जेल में अपनी जिंदगी बिताई है।
  • इसको संज्ञान में लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 23 मई, 2022 को यह मामला गुजरात सरकार को सौंप दिया क्योंकि यह अपराध गुजरात में हुआ था। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को आदेश दिया था कि वे दो महीने के अंदर ही अपना फैसला लें।
  • सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए गुजरात सरकार ने सभी 11 आरोपियों को रिहा कर दिया है। हालांकि, गुजरात सरकार के इस फैसले की आलोचना की जा रही है। ह्यूमन राइट्स के वकील शमशाद पठान ने कहा कि बड़ी संख्या में कई दोषी अभी भी जेल में बंद हैं, जिन्होंने बिलकिस केस से कम जघन्य अपराध किया है। सरकार उनका फैसला नहीं करती और इतने शर्मनाक अपराध में रिहाई दे देती है। ऐसे में तो पीड़ितों का सिस्टम से विश्वास उठना निश्चित है।

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