Environment News: जल्द ही स्वदेशी धरती पर अफ्रीकी चीतों को दौड़ता देख सकेंगे।दरअसल दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से अफ्रीकी चीतों को लाकर भारत में बसाने के प्रोजेक्ट पर भारत सरकार फोकस कर रही है। अगले 6 साल में यहां 50 से 60 चीते दौड़ते नजर आ सकते हैं।यह बात अफ्रीका के चीता व वन्य जीव विशेषज्ञ ने कही। वे खुद भी दक्षिण अफ्रीकी चीतों के बैच के साथ भारत आकर इस प्रोजेक्ट के लिए काम करेंगे। खास बात है कि भारत का चीता प्रोजेक्ट विश्व का पहला ऐसा प्रोजेक्ट है, जहां एक बड़े मांसाहारी जीव को किसी दूसरे महाद्वीप में बसाने की कोशिश हो रही है।हालांकि इसमें कई चुनौतियां हैं, लेकिन अनोखी संभावनाएं भी हैं।
Environment News: 75वीं वर्षगांठ को यादगार बनाने के लिए हो रहा काम
प्रिटोरिया विश्वविद्यालय के प्रो. ट्रोडिफ दक्षिण अफ्रीका में करीब दो दशकों से चीतों पर अध्ययन कर रहे हैं। वे वहां से भारत लाए जाने वाले संभावित 12 चीतों पर भी करीब से काम कर चुके हैं। इससे पूर्व 8 चीते नामीबिया से इसी महीने 15 अगस्त तक स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ को यादगार बनाने के लिए लाए जा सकते हैं। मालूम हो कि प्रोजेक्ट चीता के सफल होने पर भारत में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। इसके साथ ही यहां के सवाना जंगलों को संरक्षित किया जा सकेगा। इससे दूसरे वन्यजीवों को भी साथ में संरक्षण मिलेगा।
Environment News: जानिए क्या खासियत है भारत के प्रोजेक्ट चीता की?
किसी बड़े मांसाहारी जीव को एक से दूसरे महाद्वीप में बसाने की यह पहली कोशिश है। जानकारी के अनुसार इससे पहले यूरोपीय बाइसन को इंग्लैंड में बसाया गया था।एशियाई चीता इकलौता बड़ा मांसाहारी वन्य जीव है जो भारत की धरती से 1950 के दशक में विलुप्त हुआ। यह अब केवल ईरान में 12 ही बचे हैं। इसीलिए अफ्रीकी चीता भारत लाया जा रहा है। एशियाई चीते शिकार और पालतू बनाए जाने की वजह से खत्म हुए, इन्हें वापस बसाने के प्रयास 6 दशक पहले शुरू हुए थे।
Environment News: मध्य प्रदेश में बसाए जाएंगे चीते
पहले बैच के चीतों को मध्य प्रदेश के कूनो के जंगल में बसाए जाने की योजना है। प्रो. ट्रोडिफ के अनुसार राजस्थान और मध्य प्रदेश के जंगलों में बड़ी संख्या में पशुओं और मानव हस्तक्षेप चीतों को बसाने में सबसे बड़ी बाधा हैं। वहीं दूसरी तरफ कई जगह चारदीवारियां टूटी हैं। ऐसे में वन एवं पर्यावरण मंत्रालय भारत सरकार इस पर ध्यान देगा।
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