ऑपरेशन ऑल आउट से आतंकियों की कमर टूट रही है… कश्मीर में सेना पाक के पालतू आतंकियों का लगातार शिकार कर रही है… ये आतंकियों पर भारतीय सेना की शिकंजा का नतीजा ही है कि बौखलाया पाकिस्तान सीमा पर लगातार फायरिंग कर अपनी कुंठा का इजहार कर रहा है… भारतीय सेना भले ही सीमा पर पाक की नापक हरकतों का करारा जवाब दे रही है वहीं कश्मीर के अदंर छिपे पाकिस्तान के पालतू आतंकियों को चुन-चुन कर साफ कर रही है… आतंकियों के ठिकानो को ढूंढ कर उसे नस्तानाबूत किया जा रहा है…
पुलवामा के बलहामा में गुरूवार शाम शुरु से हुई मुठभेड़ में शुक्रवार की सुबह दो आतंकी मारे गए…बलहामा मुठभेड़ में मारे गए आतंकियों की पहचान त्राल के उवैस अहमद और अहंगाजपोरा के शब्बीर अहमद के रुप में हुई है……दरअसल बलहामा मुठभेड़ गुरूवार को उस वक्त शुरु हुई थी ,जब एक स्थानीय बीजेपी नेता अनवर खान के अंगरक्षक पर हमले में शामिल आतंकियों को पकडऩे के लिए सुरक्षाबलों ने तलाशी अभियान चलाया था…सेना की धेराबंदी की वजह से आतंकियों को बलहामा से बाहर जाने का मौका नहीं मिला और वो वहां एक मकान में फंस गए…सेना ने मकान को चारो ओर से धेर लिया…आतंकियों ने जवानों को जैसे ही अपने ठिकाने की तरफ आते देखा, उन्होंने फायरिंग शुरु कर दी… जवानों न भी अपनी पोजीशन ली और जवाबी फायर किया… गोलीबारी के दौरान लगी आग में आतंकी ठिकाना बने दो मकानों समेत चार मकान क्षतिग्रस्त हो गए… आधी रात से शुरू हुई मुठभेड़ तड़के सुबह खत्म हुई और जब मलबा बन चुके मकान की तलाशी ली गई तो दो आतंकी मौत की आगोश में सोए हुए थे…
लेकिन इस दौरान एक बार फिर से कश्मीर में पत्थरबाजों का नापाक चेहरा देखने को मिला… सेना आतंकियों से उलझी हुई थी कि इसी बीच आतंकियों के समर्थक हाथों में पत्थर लिए पहुंच गए… भड़काऊ नारेबाजी करने वाले पत्थरबाजों को सुरक्षाबलों ने जब उन्हें रोका तो वो हिंसा पर उतर आए… भाड़े के इन पत्थरबाजों ने आतंकियों को बचाने के लिए पत्थर चलाना शुरू किया… सुरक्षाबलों ने पहले तो संयम बनाए रखा, लेकिन जब थाना प्रभारी नौगाम समेत तीन पुलिसकर्मी पथराव में जख्मी हुए तो उन्होंने पत्थरबाजों की भीड़ को खदेडऩे के लिए बल का प्रयोग किया… ये वही पत्थरबाज है जिन पर कार्रवाई किए जाने पर कश्मीर की सियायत गर्म हो जाती है… पाकिस्तान के ये भाड़े के टट्टू पैसा लेकर सेना पर पथराव करते हैं और जब सेना अपना बचाव करती है तो उसे निशाना बनाया जाता है… उसके खिलाफ केस दर्द किया जाता है… कश्मीर की मुख्यमंत्री पत्थरबाजों से हमदर्दी दिखाती है, पत्थरबाजों को माफ किए जाने की वकालत करती है लेकिन भूल जाती है कि ये पत्थरबाज भी उतने ही गुनहगार है जिनके बड़े गुनहगार ये आतंकी है… आतंकियों का समर्थन करना, उसके समर्थन में पत्थर चलाना भी आतंकवाद ही है…
एपीएन ब्यूरो