Madras High Court: क्या आप भी विवाहित महिला होकर मंगलसूत्र नहीं पहनती हैं तो सावधान हो जाइए! मद्रास हाईकोर्ट के मुताबिक यह पति की भावनाओं से खिलवाड़ है। मद्रास हाईकोर्ट ने ऐसे ही एक मामले में इसे “मानसिक क्रूरता” करार देते हुए पीड़ित पति को तलाक की अनुमति दे दी। कोर्ट ने कहा कि गले से मंगलसूत्र (थाली) उतारना पति से मानसिक क्रूरता की पराकाष्ठा है। इससे पति को ठेस पहुंचती है।
कोर्ट ने कहा कि महिला के गले में मंगलसूत्र विवाहित जीवन की निरंतरता का प्रतीक है। इसे पति की मृत्यु के बाद ही उतारा जाता है। बता दें कि न्यायमूर्ति वी एम वेलुमणि और न्यायमूर्ति एस सौंथर की खंडपीठ ने हाल ही में इरोड के एक मेडिकल कॉलेज में प्रोफेसर सी शिवकुमार को अपील की अनुमति देते हुए यह टिप्पणी की।
Madras High Court: महिला के वकील ने दिया यह तर्क
सुनवाई के दौरान, महिला ने स्वीकार किया कि उसने ‘मंगलसूत्र’ को नहीं पहना था। हालांकि, उसने अदालत को बताया कि उसने केवल चेन हटाई थी, “थाली” नहीं। उसके वकील ने यह भी तर्क दिया कि हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 7 के तहत थाली रखना आवश्यक नहीं था। इस पर, पीठ ने कहा कि यह सामान्य ज्ञान की बात है कि दुनिया के इस हिस्से में होने वाले विवाह समारोहों में थाली बांधना एक आवश्यक अनुष्ठान है।
Madras High Court:2011 से अलग रह रहे थे पति और पत्नी
पीठ ने कहा कि एक महिला के गले में थाली एक पवित्र चीज है जो विवाहित जीवन की निरंतरता का प्रतीक है और इसे पति की मृत्यु के बाद ही हटाया जाता है। पीठ ने यह भी कहा कि पति और पत्नी 2011 से अलग रह रहे थे और पत्नी ने अपीलकर्ता के साथ फिर से जुड़ने का कोई प्रयास नहीं किया। इसलिए मामले के तथ्यों और परिस्थितियों में और हमारे इस निष्कर्ष को ध्यान में रखते हुए कि पत्नी ने अपने कृत्य से पति को मानसिक प्रताड़ित किया, हम दोनों के बीच विवाह को भंग करने का एक डिक्री देकर वैवाहिक बंधन को पूर्ण विराम देने का प्रस्ताव करते हैं। बताते चले कि अदालत ने निचली अदालत के आदेश को रद्द कर दिया और याचिकाकर्ता को तलाक दे दिया।
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