पूरे देश की नजरें अयोध्या में रामजन्मभूमिबाबरी मस्जिद विवाद पर लगी हुई हैं। गुरुवार (8 फरवरी) को इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरु हुई। सुनवाई से पहले सभी पक्षों ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस अब्दुल नज़ीर और जस्टिस अशोक भूषण की बेंच में दस्तावेज सौंप दिए थे।

सुनवाई शुरू करते समय प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा ने कहा कि मामले में सबसे पहले मुख्य याचिकाकर्ताओं की दलीलें सुनी जाएंगी। इसके बाद ही बाद में अन्य याचिकाकर्ताओं पर सुनवाई होगी। इस मामले में मुख्य याचिकाकर्ता रामलला, सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़ा हैं। प्रधान न्यायाधीश ने यह भी कहा कि इस मामले को आस्था नहीं बल्कि भूमि विवाद के तौर पर देखा जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी साफ किया कि भावनात्मक और राजनीतिक दलीलें नहीं सुनी जाएंगी। यह केवल कानूनी मामला है। उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले में अब किसी नई अर्जी को स्वीकार नहीं किया जाएगा। साथ ही जिन लोगों की मौत हो चुकी है, उनका नाम हटाया जा रहा है यानी अब हाशिम अंसारी का नाम हट जाएगा।

कोर्ट में सुनवाई के दौरान सभी पक्षों ने दस्तावेजों के जरिए अपना पक्ष रखा। मुस्लिम पक्ष की ओर से दलील पेश की गई कई कागजात अब भी हमें नहीं मिले हैं। कोर्ट ने दस्तावेजों के अंग्रेजी अनुवाद को दो हफ्ते में जमा कराने को कहा। कुल 42 किताबें कोर्ट में रखी गईं। इनमे गीता औऱ रामायण भी शामिल हैं। यूपी सरकार ने कोर्ट से कहा कि सभी दस्तावेजों के अनुवाद पूरे हो गए हैं। सुन्नी वक्फ बोर्ड ने कहा हमने अपने हिस्से का काम पूरा कर लिया है लेकिन कुछ दस्तावेज अभी नहीं दिए जा सके हैं। कोर्ट ने दो हफ्ते में सभी पक्षों से दस्तावेज तैयार करने को कहा।

सुनवाई के दौरान एक मुस्लिम पक्षकार एम सिद्दीकी के वकील राजीव धवन ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि मामले की रोजाना सुनवाई होनी चाहिए। मैं इस केस की अपनी तरह से बहस करूंगा। ये केस राष्ट्र के लिए ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण है। जब रामलला के वकील सीएस वैद्यनाथ ने कहा कि पक्षकार बहस के बिन्दुओं यानी line of argument दाखिल कर दें तो केस की सुनवाई मे आसानी होगी, इस पर राजीव धवन नाराज हो गए। उन्होंने कहा के कि वह अपनी तरह से केस मे बहस करेंगे। मामले की सुनवाई अब 14 मार्च को होगी।

अयोध्या विवाद की पिछली सुनवाई 5 दिसंबर को हुई थी। तब सुन्नी वक्फ बोर्ड ने कोर्ट में दलील दी थी कि मामले से जुड़े सभी दस्तावेजों का अनुवाद अब तक नहीं हो पाया है। लेकिन अब इस मामले से जुड़े हजारों पन्नों के दस्तावेजों का सात अलग-अलग भाषाओं और लिपियों में अनुवाद कर लिया गया है। मामले की सुनवाई के लिए बीते साल 7 अगस्त को स्पेशल बेंच का गठन किया गया था।

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