2008 के मालेगांव बम धमाके के मामले में करीब नौ साल तक जेल में बंद रहे लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत पुरोहित ने अपने खिलाफ चल रहे मुकदमे को रोकने की मांग की है। उन्होंने इसके लिए सोमवार (29 जनवरी) को सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की है। कर्नल पुरोहित ने गैरकानूनी गतिविधि निरोधक कानून यानी UAPA के तहत केस चलाने की मंजूरी को भी चुनौती दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कर्नल पुरोहित की अर्जी पर महाराष्ट्र सरकार और NIA को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। इन दोनों को चार हफ्ते में नोटिस का जवाब देना होगा।
इससे पहले बॉम्बे हाईकोर्ट ने मामले में लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित और समीर कुलकर्णी की याचिका को खारिज कर दिया था। आरोपियों ने UAPA के तहत महाराष्ट्र सरकार द्वारा उन पर मुकदमा चलाने की परमिशन को चुनौती दी थी। कर्नल पुरोहित की याचिका में कहा गया था कि UAPA के तहत मुकदमा चलाने की परमिशन देने वाले राज्य के न्यायिक विभाग को ट्रिब्यूनल से रिपोर्ट लेनी होती है। पुरोहित की ओर से दलील दी गयी थी कि मामले में जनवरी 2009 में अनुमति दी गई थी लेकिन ट्रिब्यूनल का गठन अक्टूबर 2010 में किया गया। लिहाजा मंजूरी का आदेश गलत है। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि मंजूरी दिए जाने के मुद्दे पर इस समय विचार नहीं किया जा सकता और इस पर निचली अदालत विचार कर सकती है।
27 दिसंबर 2017 को मुंबई की विशेष NIA अदालत ने पुरोहित और कुछ अन्य आरोपियों पर से MCOCA और UAPA की धारा 17, 20 और 13 को हटा दिया था लेकिन कहा था कि UAPA की धारा 18 और भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 120 बी, 302, 307, 304, 326, 427 153 ए के तहत मामला चलता रहेगा। साध्वी प्रज्ञा और कर्नल पुरोहित के अलावा रमेश उपाध्याय, अजय रहिकर, सुधाकर और समीर कुलकर्णी पर से भी MCOCA के आरोप हटा लिए गए थे। इस मामले में अभी सभी आरोपियों को ज़मानत मिली हुई है। 29 सितंबर, 2008 को मालेगांव में अंजुमन चौक पर हुए बम धमाके में 7 लोगों की मौत हुई थी और 80 से ज़्यादा जख्मी हुए थे।