विभिन्न सरकारी सुविधाओं और सेवाओं के लिए आधार को अनिवार्य बनाए जाने के सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में बहस शुरू हो गई है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस ए के सीकरी, जस्टिस ए एम खानविलकर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड और जस्टिस अशोक भूषण की संविधान बेंच मामले में सुनवाई कर रही है।
पहले दिन की सुनवाई में याचिकाकर्ताओं की तरफ से वकील श्याम दीवान ने अपनी दलीलें रखी। श्याम दीवान ने कहा कि हर सेवा और सुविधा के लिए आधार को अनिवार्य बनाया जाना नागिरकों के अधिकारों की हत्या करने से कम नहीं है। उन्होंने कहा कि नागरिकों के संविधान को सरकार के संविधान में बदलने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा कि आधार की बायोमैट्रिक व्यवस्था में कई खामियां हैं। उन्होंने कहा कि यह सिस्टम भरोसेमंद नहीं है और यह सिर्फ संभावनाओं के आधार पर चलता है।
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने पूछा कि क्या आधार बिल स्टैंडिंग कमिटी को भेजा गया था?
इसके जवाब में याचिकाकर्ता के वकील श्याम दीवान ने कहा कि ऐसा नहीं किया गया था।
सुनवाई के दौरान जस्टिस डीवाय चंद्रचूड़ ने पूछा कि क्या आधार केवल वेरिफेकेशन और ट्रैकिंग के लिए इस्तेमाल किया जाएगा? उन्होंने पूछा कि क्या आधार सुरक्षित है? उन्होंने सवाल किया कि क्या सरकार बता सकती है कि बायोमैट्रिक का इस्तेमाल सोशल वेलफेयर स्कीमों में लीकेज को रोकने के लिए किया जाएगा?
जस्टिस एके सीकरी और जस्टिस चंद्रचूड़ ने पूछा कि क्या आधार बायोमैट्रिक सिस्टम यूएस वीज़ा के बायोमैट्रिक्स से अलग है? जजों ने पूछा कि जो डाटा 2009 से 2016 के बीच कलेक्ट किए गए (जब आधार के लिए कोई कानून नहीं था) क्या उसे नष्ट किया जा सकता है।
अधिवक्ता श्याम दीवान ने कहा कि आधार की औपचारिकताओं में कई तरह की दिक्कतें मौजूद हैं। 6 करोड़ से ज्यादा लोग आधार के साथ नहीं हैं।
श्याम दीवान की बहस पर जस्टिस भूषण ने कहा कि सरकार ने आधार के लिए विस्तृत दिशा निर्देश दिए और उसके तहत सभी कुछ आ सकता है। इसपर श्याम दीवान ने कहा कि बायोमैट्रिक डेटा का संग्रह अनुचित है और इसको आधार एक्ट पास करते समय भी ठीक नहीं किया गया। आगे बहस करते हुए श्याम दीवान ने कहा कि जैसा जस्टिस भूषण का सवाल था कि सरकार ने आधार को लेकर व्यापक दिशा निर्देश है जिसका क्षेत्र काफी बड़ा है लेकिन मेरे फोन में कोई प्रॉब्लम हो तो अपने फोन का पासवर्ड तो बदल सकता हूँ और अगर मेरा बॉयोमैट्रिक डेटा चोरी हो जाता है तो उसका कुछ नहीं किया जा सकता। इसका मिसयूज किया जा सकता। इस पर बेंच ने टिप्पणी की कि सरकार सुनिश्चित करना चाहती है कि सरकारी सुविधाओं का लाभ सही हाथों में पहुंचे। केंद्र की तरफ से सुनवाई के दौरान कहा गया कि मामले में सभी पक्षों को बहस करने का समय दिया जाए।