छोटी सी ही उम्र में ही अपने रणजी डेब्यू मैच में शतक जड़कर शानदार शुरूआत करने वाले सचिन तेंदुलकर की राज्यसभा में डेब्यू शानदार नहीं हो सका। वह आज राज्यसभा में अपना पहला भाषण देने वाले थे लेकिन विपक्ष के हंगामे के कारण वह अपना भाषण नहीं दे सकें।
आपको बता दें कि सचिन ‘राइट टू प्ले’ पर बोलने वाले थे जिसके लिए उन्हें दो बजे का समय मिला था। लेकिन पीएम द्वारा पूर्व पीएम मनमोहन सिंह से माफी मांगने की विपक्ष के मांग पर संसद में कल से ही लगातार हंगामा हो रहा है। उसी क्रम में विपक्ष ने आज भी हंगामा जारी रखा। इस कारण सचिन तेंदुलकर बोल नहीं सकें। हालांकि वह लगातार 10 मिनट तक खड़े रहे लेकिन उन्हें बोलने का कोई मौका नहीं मिला।
इस दौरान सदन के सभापति हंगामा करने वाले सांसदो को शांत कराते नजर आए। उन्होंने सचिन तेंदुलकर के ‘भारत रत्न’ होने का भी हवाला दिया। वेंकैया नायडू ने कहा कि ‘इसे पूरा देश देख रहा है, प्लीज़ शांत हो जाइए।’
वहीं सपा की सांसद और अभिनेत्री भी इससे नाराज नजर आई। उन्होंने कहा कि जिसने देश के लिए नाम कमाया, उसे ही बोलने नहीं दिया गया। क्या खिलाड़ियों और कलाकारों को सदन में बोलने नहीं दिया जाएगा। मुझे ऐसा लगता है कि सचिन इसको लेकर दु:खी हैं, उन्हें (कांग्रेस को) सचिन को बोलने देना चाहिए था।
क्या है राइट टू प्ले?
अपने इस भाषण में सचिन भारत में खेल और खिलाड़ियों की स्थिति और संभावित सुधारों के बारे में बात करने वाले थे। इसके अलावा ओलंपिक की तैयारियों, स्कूली शिक्षा में खेल को शामिल करने के मसले पर भी बोलने वाले थे। वहीं देश के लिए मेडल जीतने वाले पूर्व खिलाड़ियों के रिटायरमेंट प्लान और सरकारी पेंशन पर भी सचिन अपनी बात रखने वाले थे।
पीएम को भी लिख चुके हैं चिट्ठी
सचिन इस मुद्दे पर बीते 24 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी चिट्ठी लिखी थी. उन्होंने लिखा था कि मैं एक खिलाड़ी के रूप में अपने देश के सभी खिलाड़ियों की ओर से आपको लिख रहा हूं. सचिन ने पीएम से आग्रह किया था कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने वाले सभी खिलाड़ियों को केंद्र सरकार की स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस) सुविधाओं को पात्र खिलाड़ियों की सूची में शामिल किया जाए। उन्होंने अपने इस चिट्ठी में पूर्व हॉकी कप्तान मोहम्मद शाहिद का जिक्र किया था, जो अपने अंतिम दिनों में बीमारी से जूझ रहे थे।