Shivanand Tiwari: राष्ट्रीय जनता दल (RJD) नेता शिवानंद तिवारी ने भाजपा नेता सुशील मोदी पर जमकर निशाना साधते हुए एक फेसबूक पोस्ट शेयर किया है। शिवानंद तिवारी ने फेसबुक पोस्ट में लिखा, “सुशील मोदी की राजनीति अभी तक बालिग नहीं हुई है। शायद इसलिए इनकी पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने बिहार की राजनीति से उनको अलग किया था। जब दिल्ली गए तो उनके भक्तों को उम्मीद थी कि बिहार में इतने लंबे समय तक वित्त विभाग को इन्होंने कुशलता से संभाला है। अब निर्मला सीतारमण की कुर्सी पर सुशील मोदी का बैठना तो पक्का ही है।”
Shivanand Tiwar बोले- दिल्ली सरकार को ही नाकाबिल साबित कर रहे हैं
लालू के घर छापेमारी पर बात करते हुए उन्होंने आगे लिखा,” दिल्ली वालों ने तो इनके हल्केपन को पहचान कर ही बिहार को इनसे मुक्त कराया था। इसलिए बिहार के मीडिया में बयान देने के लिए ही इनको छुट्टा छोड़ दिया है। लालू जी के यहां छापेमारी के मामले में अपने को काबिल साबित करने की हड़बड़ी में सुशील जी अपनी दिल्ली सरकार को ही नाकाबिल साबित कर रहे हैं। उनका दावा है कि लालू जी के खिलाफ सीबीआई जांच की मांग को मनमोहन सिंह ने दबा दिया था, लेकिन मनमोहन सिंह की सरकार तो 2014 में ही चली गई थी।
उसके बाद से अब तक आठ वर्षों से तो दिल्ली में बड़े मोदी जी की ही सरकार है। यह सरकार इतनी नाकाबिल है कि छह वर्षों दबे उस ज्ञापन को खोज निकालने में उसको आठ वर्ष लग गए। वह भी कब, जब नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के बीच दूरी घटती हुई नज़र आ रही है। उन्होंने आगे लिखा कि हमारा सवाल तो यही था। लालू यादव के यहां सीबीआई की छापेमारी कहीं नीतीश जी के लिए चेतावनी तो नहीं थी।”
Shivanand Tiwari ने लालू यादव से की अपील
बता दें कि इससे पहले शिवानंद तिवारी ने फेसबुक पर लालू यादव के नाम पोस्ट किया था। उन्होंने लिखा, “जब Lalu Yadav ने अपने राजनीतिक वारिस के रूप में तेजस्वी यादव को चुना तो राष्ट्रीय जनता दल ने संपूर्ण हृदय से इसको स्वीकार किया। यह जरूरी भी था। इसलिए भी कि बिहार देश का सबसे युवा प्रदेश है। बिहार की पूरी आबादी में 58 फीसद आबादी 25 बरस से नीचे वालों की है।
इस आबादी के सपनों और आकांक्षाओं को लालू यादव सहित हम पुरानी पीढ़ी के लोग नहीं समझते हैं, वक्त बदला है। यह आबादी गांवों के उन पुराने मुहावरों और कहावतों को नहीं समझती है जिसके महारथी लालू जी हैं। लेकिन इस युवा आबादी ने तेजस्वी यादव को स्वीकार किया है, इसका आकलन दो चुनाव के परिणामों से समझा जा सकता है।”
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