एक तरफ जहां मोदी सरकार पैसों और समय के बचत के लिए एकसाथ विधानसभा और लोकसभा चुनाव कराने पर जोर दे रही है। वहीं दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट में कुछ ऐसी याचिका भी आ रही हैं जिनकी मांग है कि एक ही समय में समान पद के लिए दो चुनाव क्षेत्रों से चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों पर रोक लगे। दिल्ली भाजपा के प्रवक्ता एवं वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय ने यह जनहित याचिका दाखिल की है। उनका कहना है कि इस प्रणाली से देश का पैसा भी बर्बाद होता है और साथ ही इसमें जनता के साथ धोखा भी होता है।
दरअसल, वर्तमान प्रणाली में ये है कि कोई भी उम्मीदवार एक ही समय में एक ही पद के लिए दो क्षेत्रों से चुनाव लड़ सकता है। अर्थात् अगर उसे विधायकी का चुनाव लड़ना है तो वो दो क्षेत्रों से चुनाव लड़ सकता है। लेकिन अगर वो दोनों क्षेत्रों से जीत जाता है तो उसे एक सीट छोड़नी पड़ती है। ऐसे में चुनाव आयोग को वहां उपचुनाव कराना पड़ता है। ऐसे में मतदाताओं को दोबारा वोट देना पड़ता है। साथ ही प्रशासनिक तंत्र का समय और देश का पैसा भी फिजूल में खर्च होता है।
याचिका में कहा गया है कि जुलाई 2004 में मुख्य चुनाव आयुक्त ने भी तत्कालीन प्रधानमंत्री से जनप्रतिनिधि कानून की धारा 33(7) में संशोधन की मांग की थी ताकि एक व्यक्ति एक ही पद के लिए एक से ज्यादा सीट पर चुनाव नहीं लड़ सके। लेकिन मामला तब से आगे नहीं बढ़ पाया। याचिका में जनप्रतिनिधि कानून की धारा 33(7) को अवैध घोषित करने की मांग की गई, जिसके तहत किसी व्यक्ति को दो सीटों से आम चुनाव अथवा कई उपचुनाव अथवा द्विवार्षिक चुनाव लड़ने की अनुमति है।