संयुक्त राष्ट्र महासभा के 72वें सत्र के संबोधन में भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज पाकिस्तानी पर खूब गरजी। एक दिन पहले पाकिस्तान के पीएम की तरफ से लगे आरोपों को सुषमा ने न केवल खारिज किया, बल्कि दुनियाभर के सामने पाकिस्तान का चिट्ठा उसी को उसी के भाषा में पकड़ा दिया। सुषमा ने पाकिस्तान के हर आरोप को आड़े हाथ लिया। सुषमा ने कहा कि हैवानियत की हदें पार करने वाला पाकिस्तान आज भारत को इंसानियत सिखाने चला है। सुषमा ने तंज कसते हुए कहा, ‘हमने आईआईटी और आईआईएम बनाए वहीं पाकिस्तान ने लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठन बनाए।’
सुषमा स्वराज ने अपनी बात की शुरुआत तो पीएम मोदी द्वारा उठाए गए विकास कार्यों को बताने से किया, लेकिन आतंकवाद के मसले पर आते-आते विदेश मंत्री ने पाकिस्तान को जम कर लताड़ा। सुषमा स्वराज ने कहा, ‘सभापति जी, हम तो गरीबी से लड़ रहे हैं, लेकिन पाकिस्तान हमसे लड़ रहा है। पाकिस्तान के पीएम ने हमपर आरोप लगाए। हमपर आतंकवाद और मानवाधिकार के उल्लंघन का आरोप लगाया। जिस समय वह बोल रहे थे उस समय लोग कह रहे थे कि ‘लुक हु इज टॉकिंग’।
सुषमा ने कहा कि हैवानियत की हदें पार कर सैकड़ों मासूमों को मौत के घाट उतारने वाला आज यहां (यूएन में) खड़ा होकर हमे मानवता सिखा रहा है। सुषमा ने कहा, ‘सभापति जी मैं पाकिस्तान से एक सवाल पूछना चाहती हूं कि क्या कभी सोचा कि भारत और पाकिस्तान एक साथ आजाद हुए थे लेकिन आज भारत की पहचान आईटी के सुपर पावर के रूप में बनी जबकि पाकिस्तान की दहशतगर्द मुल्क के रूप में। इसकी एक ही वजह थी कि पाकिस्तान से मिलने वाली आतंकवाद की चुनौतियों के बावजूद भारत में आने वाली विभिन्न दलों की सरकारों ने विकास किया।’
सुषमा ने कहा कि “हमने आईआईटी, आईआईएम, एम्स, बनाए पाकिस्तान ने लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और आतंकवादी ठिकाने बनाए। हमने स्कॉलर्स पैदा किए, साइंटिस्ट पैदा किए, इंजिनियर पैदा किए, डॉक्टर पैदा किए, पाकिस्तान वालों आपने दहशतगर्त पैदा किए।”
सुषमा स्वराज ने महासभा को पाकिस्तानी पीएम के भाषण को याद दिलाते हुए कहा कि, ‘पाकिस्तान के पीएम ने कहा था कि जिन्ना ने पाकिस्तान को शांति और दोस्ती की नीति विरासत में दी थी। यह तो इतिहास जानता है कि जिन्ना ने कैसी विरासत दी थी लेकिन मैं याद दिलाना चाहती हूं कि पीएम मोदी ने शांति और दोस्ती की नियत जरूर दिखाई थी। कहानी बदरंग किसने की, अब्बासी साहब इसका जवाब दें।’ सुषमा स्वराज ने शिमला समझौता और लाहौर घोषणापत्र का जिक्र करते हुए कहा कि हर मामले को द्विपक्षीय सुलझाने की बात हुई थी, लेकिन पाकिस्तान ने हमेशा इसका उल्लंघन किया।
इतना ही नहीं उन्होंने पेरिस समझौते से लेकर चीन के द्वारा पाकिस्तान को दिए गए समर्थन तक के मुद्दे को उठाते हुए अमेरिका और चीन को भी घेरा। जलवायु परिवर्तन पर बोलते हुए सुषमा ने अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप का भी जवाब दिया। सुषमा ने कहा कि भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि हम पैरिस समझौते के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह प्रतिबद्दता हमारी 5 हजार साल की परंपरा से जुड़ी है। हम किसी लालच के लिए इस समझौते के साथ नहीं है।
वहीं चीन को घेरते हुए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि “पहले जब हम आतंकवाद शब्द का इस्तेमाल करते हैं तो विश्व के बड़े-बड़े देश इसे कानून व्यवस्था का मामला बता खारिज कर देते थे। अब इस समस्या से सभी पीड़ित हैं। सुषमा ने कहा कि द्विपक्षीय वार्ता या संयुक्त वार्ता में हम सभी आतंकवाद के खिलाफ बयान जारी करते हैं लेकिन यह केवल रस्म बनकर रह गई है, जब उस संकल्प को पूरा करने का समय आता है तो सारे देश अपना-अपना हित देखने लगते हैं।”
अंत में सुषमा ने कहा कि मेरे देश की संस्कृति पूरे विश्व के लोगों के सुख की कामना करती है। अतः वसुधैव कुटुंबकम में हम सबके सुख की कामना करते हैं।