Sri Lanka Economy Crisis: पड़ोसी देश श्रीलंका आज दिवालिया होने की कगार पर पहुंच गया है। महंगाई के कारण श्रीलंका की हालत बहुत ज्यादा खराब हो गई है। आखिर ऐसी कौन सी वजहें हैं। जिसके कारण श्रीलंका आर्थिक रूप से लगभग बर्बाद हो गया है। तो चलिए आज हम आपको बताएंगे वो सब कारण जिसकी वजह से श्रीलंका कंगाल हो गया और उस पर कर्ज बढ़ता जा रहा है।
श्रीलंका की मौजूदा हालत के लिए वैसे देश की नीतियां जिम्मेदार हैं। लेकिन दूसरी वजहों ने भी श्रीलंका की आर्थिक कमर तोड़ कर रख दी है। पहले से ही आर्थिक तंगी से जूझ रहे श्रीलंका को कोविड महामारी ने बड़ी चोट दी है। बता दें कि महामारी की वजह से देश के पर्यटन पर काफी असर पड़ा और आमदनी घटती चली गई। वहीं रूस-यूक्रेन युद्ध का असर भी श्रीलंका पर पड़ रहा है। तो चलिए विस्तार से जानते हैं कि श्रीलंका को बर्बादी कि चौखट पर ले जाने वाले कारणों के बारे में।
Sri Lanka Economy Crisis: कोविड-19 महामारी
श्रीलंका की जीडीपी में पर्यटन का काफी बड़ा योगदान है। वहां की GDP में टूरिज्म की हिस्सेदारी 10 फीसदी से ज्यादा है और पर्यटन से विदेश मुद्रा भंडार में भी इजाफा होता है। लेकिन कोरोना महामारी की वजह से यह सेक्टर बुरी तरह से प्रभावित हुआ। कोविड की वजह से विदेशी मुद्रा भंडार में बड़ी गिरावट आई। विदेशी मुद्रा में कमी आने की वजह से सामान आयात करने के लिए विदेशी मुद्रा खरीदनी पड़ी और इससे श्रीलंकाई रुपये में गिरावट आनी शुरु हो गई। इस साल तक करीब 8 फीसदी की गिरावट श्रीलंकाई रुपये में हुई है और मुद्रा में गिरावट से खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ने लगीं।
विदेशी मुद्रा भंडार कम होना
2019 में श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार 7.5 बिलियन डॉलर का था लेकिन महामारी के दंश से यह गिरकर पिछले साल जुलाई में 2.8 बिलियन डॉलर पर आ गया था। विदेशी मुद्रा की कमी से कनाडा जैसे कई देशों ने फिलहाल श्रीलंका में निवेश बंद कर रखा है।
रासायनिक उर्वरकों पर बैन
सरकार के एक कदम से श्रीलंका का खाद्य संकट गहरा गया। राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने पिछले साल घोषणा की थी कि श्रीलंका 100 फीसदी जैविक खेती वाला दुनिया का पहला देश होगा। सरकार ने रासायनिक उर्वरकों के इस्तेमाल पर बैन लगा दिया। जिससे कृषि उत्पादन में कमी आई और खाद्य संकट बढ़ गया। बता दें कि श्रीलंका में 90 फीसदी किसान रासायनिक उर्वरकों पर निर्भर हैं।
Sri Lanka Economy Crisis: टैक्स में कटौती
2019 में नवनिर्वाचित राजपक्षे सरकार ने लोगों की खर्च करने की क्षमता बढ़ाने के लिए टैक्स कम कर दिया था। इससे सरकार के राजस्व को भारी नुकसान हुआ था। सेंट्रल बैंक ऑफ श्रीलंका के सीनियर डिप्टी गवर्नर रहे पी नंदलाल वीरसिंघे ने कहा था कि चुनावों के बाद टैक्स में कटौती आश्चर्यजनक रूप से की गई। इस बारे में किसी भी तरह की परामर्श प्रक्रिया नहीं हुई थी और यह सरकार की एक बड़ी गलती थी।
Sri Lanka Economy Crisis: विदेशी कर्ज
एक रिपोर्ट के अनुसार 2022 में श्रीलंका को सात अरब डॉलर का कर्ज चुकाना है। अकेले चीन का ही श्रीलंका पर 5 अरब डॉलर का कर्ज है। भारत और जापान का भी इस पर काफी कर्ज है। विश्व बैंक के अनुसार 2019 में श्रीलंका का कर्ज बढ़कर जीएनआई का 69 फीसदी हो गया है। वहीं 2010 में यह केवल 39 फीसदी ही था। श्रीलंका का सार्वजनिक ऋण 2019 में 94% था और 2021 में सकल घरेलू उत्पाद का 119% होने का अनुमान है।
Sri Lanka Economy Crisis: FDI में कमी
प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की बात करें तो सरकारी आंकड़े बताते हैं कि श्रीलंका में एफडीआई 2018 में 1.6 बिलियन डॉलर था। यह 2019 में घटकर 793 मिलियन डॉलर पर आ गया और 2020 में गिरकर 548 मिलियन डॉलर हो गया। बता दें कि FDI घटने से विदेशी मुद्रा भंडार भी कम हो जाता है।
Sri Lanka Economy Crisis: रूस-यूक्रेन जंग का असर
रूस-यूक्रेन में छिड़ी जंग से श्रीलंकाई अर्थव्यवस्था की हालत और खराब हो सकती है। रूस श्रीलंका की चाय का सबसे बड़ा आयातक है और रूस और यूक्रेन से बड़ी तादाद में श्रीलंका में पर्यटक भी आते हैं। रूबल की गिरती कीमत, जंग और रूस-यूक्रेन की ओर से चाय की घटती खरीद की वजह से भी इसकी अर्थव्यवस्था को नुकसान हुआ है।
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