Russia-Ukraine War: पशुओं का इंसान के प्रति स्नेह तो सभी ने सुना है, लेकिन एक इंसान का अपने पालतू (Pet) के साथ इतना गहरा लगाव शायद ही किसी ने देखा हो। रूस और यूक्रेन के बीच जंग (War) जारी है, यूक्रेन को इस युद्ध में काफी नुकसान पहुंचा है। यहां के लोग अपनी जान बचाकर दूसरे देशों में शरण लेने को मजबूर हैं। इनमें बड़ी तादाद में भारतीय भी यूक्रेन छोड़कर देश वापस लौट आए हैं, जबकि अभी बहुत से लोगों का आना जारी है।
इसी घटनाक्रम के बीच एक शख्स ऐसा भी है, जो युद्ध कितना ही बड़ा रूप न ले, किसी भी सूरत में स्वदेश नहीं लौटना चाहता। इस शख्स का नाम है डॉ गिरी कुमार पाटिल। जिनके पास पालतू तेंदुआ और चीता के अलावा कुत्ते भी हैं। इन्हें अपनी जान की परवाह नहीं, मगर इनके पालतू पशु इन्हें अपनी जान से ज्यादा प्यारे हैं। इनका ‘जगुआर कुमार तेलुगु’ नाम का एक YouTube चैनल है। आंध्र प्रदेश से ताल्लुक रखने वाले 40 वर्षीय डॉ गिरी कुमार पाटिल वर्तमान में डोनबास के पूर्वी यूक्रेनी क्षेत्र के छोटे से शहर सेवेरोडोनेत्स्क में रहते हैं। इससे पहले, वे लुहांस्क में रह रहे थे। जिसे 21 फरवरी को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता दी गई थी। तभी से यहां सैन्य संघर्ष जारी है।
Russia-Ukraine War: तहखाने में छिपकर बचा रहे हैं जान
एक हफ्ते से ज्यादा समय से, वह अपने घर के तहखाने को छिपे हुए हैं और केवल अपने पालतू जानवरों के लिए खाने का इंतजाम करने के लिए ही बाहर निकलते हैं। उन्होंने एक तेंदुआ पाला हुआ है। मेरी बिग कैट (Big Cat) यानी तेंदुआ मेरे साथ तहखाने में रात बिता रही है।
हमारे आसपास बहुत जोरदार बम बरस रहे हैं, इनकी दहशत से बिग कैट काफी डरी हुई है। उसने खाना भी कम कर दिया है, लेकिन मैं उन्हें नहीं छोड़ सकता।डॉ पाटिल ने करीब 2 वर्ष पूर्व यूक्रेन की राजधानी कीव के एक चिड़ियाघर (Zoo) से 35,000 डॉलर में इन बिग कैट्स को खरीदा था। उन्होंने कहा कि चिड़ियाघर उन लोगों को जानवर बेचता है, जिनके पास उन्हें रखने के लिए पर्याप्त जगह होती है।
अपने बच्चों को अकेला नहीं छोड़ेंगें
यूक्रेन में फंसे डॉ पाटिल का कहना है जंग के मैदान में अपने बच्चों को किसी कीमत में अकेला नहीं छोड़ेंगे। उन्होंने कहा, कि वे अपने ‘बच्चों’ के बिना वापस नहीं आएंगे। उन्होंने चीता और तेंदुए को पालतू जानवर के रूप में अपने पास रखा हुआ है। उन्होंने कहा कि “मैंने (भारतीय) दूतावास में संपर्क किया, लेकिन उचित प्रतिक्रिया नहीं मिली। मेरी जगह रूसियों से घिरी हुई है, मैं अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहा हूं। मैं अपने पालतू जानवरों को अपने बच्चों की तरह मानता हूं। ऐसे में उन्हें छोड़ने का मतलब ही नहीं बनता।
क्रॉसब्रीड और बेहद दुर्लभ है जगुआर
डा. गिरिकुमार पाटिल का कहना है, कि मैं एक पशु प्रेमी हूं। पशु भावनात्मक रूप से हमारे साथ जुड़े होते हैं। ऐसे में हमारा भी कर्तव्य बनता है,कि अपने इन बेजुबान और प्यारे दोस्तों की मदद करें। मैंने अपने शौक के बारे में कीव चिड़ियाघर से बात की। उन्होंने कहा कि यह जगुआर असल में एक तेंदुए और एक काले जगुआर के बीच का क्रॉसब्रीड है और बहुत दुर्लभ है। जगुआर की उम्र 20 महीने है जबकि ब्लैक पैंथर छह महीने का हो चुका है।
संबंधित खबरें