Russia-India Relations: रूस में व्यापार से भारत को फायदा, जानिए कैसे हो रही भारतीय कंपनियां मालामाल

भारत की बड़ी तेल कंपनियों के लिए ये मालामाल होने का मौका है। दरअसल, भारतीय तेल कंपनियां अंतरराष्ट्रीय बाजार में सर्वोत्तम क्वालिटी माने जाने वाले रूसी यूराल ईधन को भारी मात्रा में खरीद कर फिर इसे अफ्रीका और एशिया के बाजारों में उच्च अंतरराष्ट्रीय कीमतों पर बेच रही हैं।

0
335
Russia-India Relations
Russia-India Relations: रूस में व्यापार से भारत को फायदा, जानिए कैसे हो रही भारतीय कंपनियां मालामाल

Russia-India Relations: रूस-यूक्रेन के युद्ध पर इस समय पुरी दुनिया की नजरें टिकी हुई हैं। रूस-यूक्रेन के युद्ध के कारण तेल की बढ़ती कीमतों से सभी देश परेशान हैं, वहीं दूसरी ओर भारत की बड़ी तेल कंपनियों के लिए ये मालामाल होने का मौका है। दरअसल, भारतीय तेल कंपनियां अंतरराष्ट्रीय बाजार में सर्वोत्तम क्वालिटी माने जाने वाले रूसी यूराल ईंधन को भारी मात्रा में खरीद कर फिर इसे अफ्रीका और एशिया के बाजारों में उच्च अंतरराष्ट्रीय कीमतों पर बेच रही हैं। इस व्यापार से भारतीय तेल कंपनियों को खूब मुनाफा हो रहा है।

Russia-India Relations: रूस में व्यापार से भारत को फायदा, जानिए कैसे हो रही भारतीय कंपनियां मालामाल
रूसी राष्ट्रपति

रूस-यूक्रेन के बीच कई महीनों से युद्ध जारी है और फिलहाल ये थमता नजर नहीं आ रहा है। इस बीच भारत की तेल कंपनियों को रूस से व्यापार में भारी लाभ मिल रहा है।

Russia-India Relations: भारत कर रहा रूस से रिकॉर्ड तोड़ खरीद

इतिहास पर नजर डालें तो भारत कभी रूसी तेल का बड़ा खरीददार नहीं रहा है। रूस से हिंदुस्तान तेल आने में करीब 45 दिनों का समय लगता है। तेल को भारत लाने में काफी महंगा पड़ता है। जबकि मध्य- पूर्व के देशों से तेल खरीद और उसके परिवहन में भारत का काफी कम समय और धन लगता है। इराक से भारत के पश्चिमी बंदरगाह तक तेल पहुंचने में लगभग 6 दिन ही लगते हैं।

बता दें कि रूस- यूक्रेन के युद्ध शुरू होने से पहले भारत रूस से केवल 2 प्रतिशत ईंधन ही खरीदता था। फरवरी 2022 में युद्ध शुरू होने के बाद भारत का रूस से तेल खरीदना एक दम रुक गया, लेकिन अब हालात बिल्कुल बदल गए हैं।

Russia-India Relations: रूस में व्यापार से भारत को फायदा, जानिए कैसे हो रही भारतीय कंपनियां मालामाल
पीएम मोदी – रूसी राष्ट्रपति

रिपोर्ट के अनुसार भारत ने मई में 840645 बैरल प्रतिदिन रूसी कच्चे तेल का आयात किया। जो कि अप्रैल में 388666 बैरल ही था। पिछले साल मई में ये आंंकड़ा 136774 बैरल प्रतिदिन ही था। अनुमान है कि जून के आखिरी में रूसी तेल आयात 10 लाख 50 हजार बैरल प्रतिदिन का अनुमान है।

केप्लर में क्रूड एनालिसिस के सह- प्रमुख विक्टर कैटोना के मीडिया को दिए बयान के अनुसार , ‘शून्य से ये 10 लाख बैरल पहुंच गया है। इसका मतलब ये है कि 2 प्रतिशत से, रूसी यूराल क्रूड भारत की कुल खरीद का लगभग 20 प्रतिशत हो गया।’

Russia-India Relations: भारतीय कंपनियां इस लाभ से खुश

रूस- यूक्रेन के बीच छिड़े युद्ध के कारण पश्चिमी देशों और अमेरिका ने रूस से तेल खरीद पर रोक लगा दी है। जिससे रूस के ईंधन की कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार में गिर गयी हैं, इसलिए रूस भारत और कई देशों को कम कीमत पर तेल बेच रहा है।

रूसी तेल पर भारतीय कंपनियों को 30- 40 डॉलर के बीच छूट मिल रही है। इसका मतलब है कि जब ब्रेंट ऑयल की कीमतें 125 डॉलर प्रति बैरल थी। भारत की रिफाइनरी कंपनियां 90- 95 डॉलर पर उसे खरीद रही थीं। हाल में खबर आई थी कि भारत चीन को पीछे छोड़ता हुआ सबसे बड़ा तेल खरीद का उपभोक्ता बन गया है।

Russia-India Relations: रूस में व्यापार से भारत को फायदा, जानिए कैसे हो रही भारतीय कंपनियां मालामाल
Russia-India Relations

Russia-India Relations: रिलायंस और नायरा एनर्जी जैसी कंपनियां तेल खरीद में आगे

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक रिलायंस और नायरा एनर्जी जैसी निजी कंपनियां रूसी तेल की अधिक खरीद कर रही हैं। रिपोर्ट के मुताबिक रिलायंस और नायरा एनर्जी जैसी निजी कंपनियां पिछले महीने अनुमानित 250,000 बैरल प्रतिदिन की खरीद कर रही हैं, जबकि सरकारी तेल कंपनियां भी इसमें पीछे नहीं है।

उनकी तेल खरीद 450,000 बैरल बताई जा रही है। नायरा एनर्जी का 49 प्रतिशत स्वामित्व रूस की सबसे बड़ी कंपनी रोसनेफ्ट के पास है।

संबंधित खबरें:

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here