Chitra Ramkrishna: एनएसई को-लोकेशन मामले में विशेष सीबीआई अदालत ने पूर्व प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) चित्रा रामकृष्ण को बड़ा झटका दिया है। शनिवार को अदालत ने उनके अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी। इसके बाद चित्रा की मुश्किलें और भी बढ़ सकतीं हैं।
गौरतलब है कि चित्रा पर एक हिमालयन योगी के इशारे पर नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का संचालन करने और संवेदनशील जानकारी साझा करने का आरोप है। बता दें, कि इस मामले में बीते दिनों केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने एनएसई के पूर्व ग्रुप ऑपरेटिंग ऑफिसर आनंद सुब्रमण्यम को चेन्नई स्थित उनके आवास से गिरफ्तार किया था। सीबीआई ने दावा किया था, कि वही हिमालयन योगी (Himalyan Yogi) हैं।
Chitra Ramakrishna: केस का 2018 में ऑडिट हुआ
एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि सीबीआई की जांच से यह बात निकलकर आई है कि इस मामले में सेबी की तरफ से सीबीआई को ऑडिट डाक्युमेंट और दूसरे ईमेल शेयर करने में देरी हुई है। इस केस का 2018 में ऑडिट हुआ था जबकि 2018 में ही एफआईआर भी की गई थी, लेकिन सेबी ने मामले से संबंधित रिपोर्ट और मुख्य आरोपियों के बीच हुए ईमेल की कॉपी सीबीआई को 2019 में दी।
Chitra Ramakrishna: सीबीआई ने लीं सीएफएसएल की सेवाएं
अधिकारियों ने बताया कि CBI ने चित्रा से तीन दिन तक पूछताछ की, लेकिन इस दौरान उन्होंने कथित तौर पर सवालों का सही से जवाब नहीं दिया। लिहाजा जांच एजेंसी ने सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लैब (CFSL) के एक सीनियर मनोवैज्ञानिक की सेवाएं लीं, जिससे वास्तविक तथ्यों का पता लगाया जा सके।
एजेंसी ने कोर्ट को बताया, “CFSL के सीनियर फॉरेंसिक मनोवैज्ञानिक ने पाया कि चित्रा रामकृष्ण अपने जवाबों में टालमटोल कर रही हैं। वह हमेशा यह कहती रहीं कि इस बारे में जानकारी उनके नीचे पदों पर काम करने वाले कर्मचारियों के पास है।
Chitra Ramkrishna: इससे पहले सेबी की एक रिपोर्ट में ये बात सामने आई थी, कि चित्रा रामकृष्ण (Chitra Ramkrishna) सालों तक एक रहस्यमयी योगी के इशारे पर एक्सचेंज को चलाती रहीं। सेबी की रिपोर्ट में कुछ नए तथ्यों के उजागर होने के बाद सीबीआई ने को-लोकेशन मामले की जांच का दायरा बढ़ाया। बीती 25 फरवरी को NSE के ग्रुप ऑपरेटिंग ऑफिसर (GOO) आनंद सुब्रमण्यण को गिरफ्तार कर लिया गया। इस बीच चित्रा रामकृष्ण ने गिरफ्तारी से बचने के लिए कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दायर की, जिसे शनिवार को अदालत ने खारिज कर दिया।
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