भारत सरकार द्वारा विमुद्रीकरण के बाद से लगातार भ्रष्ट और काले कारोबारियों को सुधरने, टैक्स को भरने और अपनी इनकम को उजागर करने का पूर्णत: मौका दे रही थी। लेकिन, शायद इन काले कारोबारियों का सुधरना इनके बस की बात नहीं है। HSBC ब्लैकमनी लिस्ट में शामिल 628 भारतीयों के खिलाफ सरकार ने कार्रवाई शुरू कर दी है। बुधवार को प्रवर्तन निदेशालय द्वारा देश में ऐसी पहली कार्रवाई हुई जब चेन्नई के एक बिजनेसमैन के 1.59 करोड़ रुपए जब्त कर लिए गए। माना जा रहा है कि जब्त की गई राशि विदेशों में छुपा कर रखे गए धन के बराबर है।
केंद्रीय जांच एजेंसी ने बताया कि उसने हाल ही में फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट (फेमा) के तहत जोड़ी गई एक नई धार 37 (ए) के तहत इस कार्रवाई की गई है। बता दें कि इस एक्ट के तहत सरकार को यह अधिकार प्राप्त है कि अगर कोई पूंजीपति, उद्योगपति या कारोबारी ने संविधान का उल्लंघन कर अपने पैसे को बाजार में फ्लो होने के बजाय विदेशों में अचल संपत्ति के रूप में छुपा रखी है तो यह धारा उस पूंजीपति, उद्योगपति या कारोबारी के उसके बराबर संपत्ति जब्त करने का अधिकार देती है।
ईडी ने बताया कि चेन्नई के प्रदीप डी कोठारी की फेमा के तहत 1.59 करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त की गई है। कोठारी ने नियामकीय मंजूरी लिए बगैर विदेशों में संपत्ति छुपा रखी है। जांच में पता चला है कि कोठारी ने जेनेवा स्थित एचएसबीसी बैंक में 2.2 करोड़ रुपए जमा किए हैं। जांच में यह भी पता चला है कि आरबीआई से बिना अनुमति लिए और इनकम टैक्स विभाग को इसकी जानकारी दिए बगैर यह धन बैंक में जमा किया गया है।