Lata Mangeshkar Passes Away: स्वर कोकिला लता मंगेशकर के निधन से पूरा देश गमगीन हो गया है। आम से लेकर खास सभी लोग लता मंगेशकर की मृत्यु पर शोक जता रहे हैं। लता मंगेशकर ने साल 1942 में पार्श्व गायन की शुरुआत की थी और अपने करियर के दौरान उन्होंने 36 भाषा में 50 हजार से अधिक गाने गाए थे। लेकिन उनका ‘Ae Mere Watan Ke Logon’ गाना बहुत खास था क्योंकि यह गाना मां भारती के लिए शहीद होने वाले जवानों के लिए था।
‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ गाना सुनकर रो पड़े थे पंडित नेहरू

27 जनवरी 1963 को दिल्ली के रामलीला मैदान में जब लता मंगेशकर ने ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ गाना तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित Jawaharlal Nehru के सामने गाया था तब यह गाना सुनकर नेहरू जी की आखों में आंसू आ गए थे। बता दें कि यह गाना 1962 के भारत और चीन के युद्ध में देश की रक्षा करते हुए शहीद हुए भारतीय सैनिकों के सम्मान में रिलीज किया गया था। इस गाने का संगीत सी रामचंद्र ने दिया और कवि प्रदीप ने लिखा था।
शुरुआत में Lata Mangeshkar ने गाना गाने से कर दिया था मना
एक इंटरव्यू में लता मंगेशकर ने बताया था कि पहले उन्होंने ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ गाना गाने से मना कर दिया था। दरअसल कवि प्रदीप चाहते थे कि यह गाना लता मंगेशकर गाएं और इसलिए उन्होंने लता जी से बात भी कर ली थी। लेकिन किसी बात को लेकर लता मंगेशकर और प्रदीप के बीच मतभेद हो गया था और इस गाने को आशा भोसले गाने वाली थींं। हालांकि अंत में कवि प्रदीप ने लता जी को यह गाना गाने के लिए राजी करवा लिया था।

सिगरेट के बॉक्स की एल्यूमीनियम फाइल पर लिखा गया था गाना
Producer महबूब खान ने यह गाना लिखवाने के लिए Kavi Pradeep का रुख किया था। इस गाने को रिलीज करवाने का मकसद देश के लिए फंड इकट्ठा करना था। कवि प्रदीप ने बताया था कि ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ की पंक्तियों उनके दिमाग में तब आई थी जब वो मुंबई के माहीम बीच में घूम रहे थे। बीच में टहलने के चलते उनके पास पेन और पेपर नहीं था। ऐसे में उन्होंने पास से गुजर रहे एक अनजान व्यक्ति से पेन मांगा था और इस गाने की पंक्तियां सिगरेट के बॉक्स की एल्यूमीनियम फाइल पर लिखी थीं।
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