Ramanujacharya: भारत की पवित्र भूमि पर कई संत महात्माओं का जन्म हुआ है, जो अपने विचारों से कई सालों तक लोगों को धर्म की राह से जोड़ने का कार्य करते रहे हैं। हैदराबाद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ऐसे ही एक महान संत की प्रतिमा का अनावरण किया गया। जिसे ‘Statue Of Equality’ का नाम दिया गया है। बता दें कि प्रतिमा में बैठे संत श्री रामानुजाचार्य का जन्म तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में हुआ था। रामानुजाचार्य एक वैदिक दार्शनिक और समाज सुधारक के रूप में प्रसिद्ध हैं।
Ramanujacharya का जीवन परिचय
Ramanujacharya: रामानुजाचार्य की माता का नाम कांतिमती था और पिता का नाम केशवचार्युलु था। भक्तों का यह मानना है कि यह अवतार स्वयं भगवान आदिश ने लिया था। संत श्री रामानुजाचार्य ने देशभर में घूम- घूमकर समानता और सामाजिक न्याय पर जोर दिया। रामानुजाचार्य ने जाति विभेद के खिलाफ अभियान भी चलाया और महिलाओं को सशक्त करने के लिए जीवन भर परिश्रम किया। इसलिए उनकी प्रतिमा का नाम ‘Statue Of Equality’ रखा गया है। उनका नाम वैष्णव समाज के प्रमुख संतों में भी लिया जाता है।
बता दें कि जब इस्लामी आक्रांता भारत में पांव पसारने के लिए बेताब थे, ऐसे समय में संत रामानुजाचार्य ने भारत की जनता के भीतर धार्मिक भावनाओं को और प्रबल किया था। उन्होंने हर वर्ग के लोगों के बीच ‘मुक्ति और मोक्ष’ के मंत्रों के बारे में बताया था। उन्होंने यह सार्वजनिक रूप से बताया था और कहा था कि सभी वर्गों के लोगों को इसका लाभ मिलना चाहिए।
रामानुजाचार्य ‘आलवन्दार यामुनाचार्य’ के प्रधान शिष्य थे।’यमुनाचार्य’ रामानुजाचार्य के पहले ‘विशिष्टाद्वैत वेदांत’ के प्रसिद्ध आचार्य थे, जिन्हें आलवन्दार के नाम से भी जाना जाता है। गुरु की इच्छानुसार रामानुज ने अपने गुरु ‘आलवन्दार यामुनाचार्य’ से तीन काम करने का संकल्प लिया था- ब्रह्मसूत्र, विष्णु सहस्रनाम और दिव्य प्रबंधनम की टीका लिखना।
रामानुजाचार्य गृहस्थ आश्रम त्यागकर श्रीरंगम के यदिराज संन्यासी से संन्यास की दीक्षा भी ली थी। संत रामानुजाचार्य का जीवनकाल 120 वर्षों का था। उन्होंने 1137 ई. में अपने शरीर का त्याग किया था।
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