अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के बावजूद घरेलू बाजारों में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं आया है। बीते शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में उछाल देखने को मिला। तेल की कीमतें पिछले 7 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई। कच्चे तेल की कीमत 2.16 डॉलर की तेजी देखने को मिली। बावजूद इसके देश में पिछले तीन महीनों से पेट्रोल और डीजल की कीमतें स्थिर बनीं हुई हैं।

तीन माह से नहीं बदले दाम
देश में पेट्रोल (Petrol) और डीजल की कीमतों में पिछले तीन माह से खासा बदलाव देखने को नहीं मिला है। यह सबसे लंबा अंतराल है क्योंकि मूल्य परिवर्तन की शुरुआत जून 2017 में हुई थी। जब लागत में कोई बदलाव नहीं हुआ था। पिछले वर्ष अक्तूबर में पेट्रोल और डीजल के दामों में तेजी आई।
दिल्ली में पेट्रोल 95.41 रुपये प्रति लीटर और डीजल 86.67 रुपये प्रति लीटर पर बिक रहा है। मुंबई में पेट्रोल 109.98 रुपये प्रति लीटर पर बिक रहा है, जबकि डीजल 94.14 रुपये प्रति लीटर पर बिक रहा है। मेट्रो शहरों में मुंबई में अभी भी गैस की दरें सबसे ज्यादा हैं। इसका कारण वैट माना जाता है। ऐसे में गैस पहुंचाने तक की लागत एक राज्य से दूसरे राज्य में बदल जाती है।
रूस और यूक्रेन के बीच तनाव का दिखा असर
रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे तनाव (Russia-Ukraine tension) बढ़ने से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल (Crude) की कीमत 90 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गई हैं। वर्ष 2014 के बाद कच्चे तेल की कीमत इस वर्ष ऊंची हुई । इसका असर सरकारी तेल कंपनियों को उठाना पड़ रहा है, उन्हें प्रति लीटर छह रुपये का नुकसान हो रहा है।
पेट्रोल के दामों पर निगाह बनाए हुए विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले समय में भी अगर रूस और यूक्रेन के बीच तनाव रहता है, तो कच्चे तेल की कीमत 125 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती है।
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