बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कल बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद को राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (NDA) के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में घोषित कर दिया है। ऐसे में एनडीए प्रत्याशी के रुप में बीजेपी ने रामनाथ कोविंद के नाम पर मुहर लगाकर विपक्ष को सकते में डाल दिया है तो वहीं कई विपक्षी पार्टियों के नेता अब धर्मसंकट में हैं। रामनाथ कोविंद दलित समुदाय से ताल्लुक रखते हैं और भारत में दलित समुदाय को लेकर राजनैतिक दलों की निष्ठा किसी से छिपी नहीं है। ऐसे में राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए प्रत्याशी रामनाथ कोविंद के खिलाफ विपक्ष संयुक्त उम्मीदवार उतार सकता है।
आपको बता दें कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने पार्टी की संसदीय दल की लगभग दो घंटे चली बैठक के बाद रामनाथ कोविंद राजग को राष्ट्रपति उम्मीदवार के रूप में घोषित किया है। इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेता मौजूद थे। वहीं कांग्रेस ने रामनाथ कोविंद को समर्थन देने या विपक्ष की तरफ से संयुक्त उम्मीदवार उतारे जाने को लेकर अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं पर कांग्रेस ने कहा कि “विपक्ष के साथ चर्चा के बाद वह आगे का फैसला लेगी।”
पर इधर सीपीएम ने विपक्ष की तरफ से भी उम्मीदवार खड़े करने के स्पष्ट संकेत दिए हैं और सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा है कि “रामनाथ कोविंद आरएसएस शाखा के प्रमुख रहे हैं और उन्हें राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाना सीधे-सीधे टकराव की राजनीति है।” वहीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी चीफ ममता बनर्जी ने रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाए जाने के एनडीए के फैसले पर हैरानी जताई है। उन्होंने कहा कि समर्थन देने से पहले उन्हें कोविंद के बारे में जानना होगा। ममता ने कहा कि प्रणव मुखर्जी, लालकृष्ण आडवाणी और सुषमा स्वराज जैसे कद के किसी नेता को चुनना चाहिए था, कोविंद को उम्मीदवार बनाने की क्या जरूरत थी।
बसपा प्रमुख मायावती ने कहा कि कोविंद दलित हैं, इसलिए बसपा उनका समर्थन कर सकती है बशर्ते कि विपक्ष की तरफ से किसी लोकप्रिय दलित चेहरे के नाम का एलान न हो। मैंने अपनी भावना से अवगत भी कराया है। लेकिन इन सब चीजों पर आगे भी बातचीत होगी।
इसके अलावा मोदी ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक (बीजद), तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव (टीआरएस) और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू (तेदेपा) से भी बात की है तो एम. वेंकैया नायडू ने पार्टी के दिग्गज नेताओं लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी से बात की है।
कोविंद अब 23 जून को अपना नामांकन दाखिल कर सकते हैं। आपको बता दें कि कोविंद अगर चुनाव जीत जाते हैं तो आर. के. नारायणन के बाद वह देश के दूसरे दलित राष्ट्रपति होंगे।