सरकारी नौकरी में अनुसूचित जाति और जनजाति के कर्मचारियों को प्रमोशन में आरक्षण पर Supreme Court ने शुक्रवार को कहा कि वर्तमान मानकों में अदालत अभी कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकता है। साथ ही अदालत की तरफ से सरकार से कहा गया कि पहले वो इस मामले पर Data जुटाए। सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा कि सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के कर्मचारियों को पदोन्नति में आरक्षण देने के लिए मात्रात्मक डाटा एकत्र करना जरूरी है।
Supreme Court ने कहा- Data जमा करना अनिवार्य है
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि नागराज के 2006 और जरनैल सिंह 2018 मामले में संविधान पीठ के फैसले के बाद शीर्ष अदालत कोई नया पैमाना नहीं बना सकती। इसके अलावा प्रतिनिधित्व की अपर्याप्तता के आकलन के अलावा मात्रात्मक डेटा का संग्रह अनिवार्य है।
Supreme Court ने इस मामले पर 26 अक्टूबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था
गौरतलब है कि Supreme Court ने इस मामले पर 26 अक्टूबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। अदालत ने पिछली तारीख में केंद्र सरकार से केंद्रीय नौकरियों में SC/ST के कर्मचारियों के अपर्याप्त प्रतिनिधित्व का आकलन करने के लिए उठाए गए कदम की जानकारी देने को कहा था। साथ ही अदालत ने कहा था कि उन कर्मचारियों को पदोन्नति में आरक्षण देने के लिए नागराज मामले पर 2006 के संविधान पीठ के फैसले का पालन करने के लिए जो किया गया उसकी भी जानकारी सरकार अदालत को दे। अदालत ने उस दौरान ही पुनर्विचार न करने के संकेत दे दिए थे।
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