Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन की खरीद-फरोख्त के आरोपी पर रासुका के तहत कार्रवाई करने के मामले में केंद्र और मध्यप्रदेश सरकार को नोटिस दिया किया है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय और मध्य प्रदेश के गृह विभाग के सचिवों को नोटिस जारी कर दो सप्ताह में जवाब देने का निर्देश दिया है।

दरअसल नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन की खरीद-फरोख्त करने के आरोप में जबलपुर में देवेश चौरसिया को हिरासत में लिया गया था। देवेश को कोरोना की दूसरी लहर के दौरान नकली इंजेक्शन बेचने के आरोप में गिरफ्तार कर उस पर रासुका के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था।
रासुका के तहत गिरफ्तारी को चुनोती देते हुए आरोपी देवेश ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में याचिका दखिल की। बाद में हाईकोर्ट से याचिका खारिज होने के फैसले के खिलाफ उसने सुप्रीम कोर्ट में अपील करते हुए याचिका दाखिल की है।
Supreme Court: देवेश के साथ इन लोंगों पर लगा था आरोप
बता दें कि अस्पताल के दवा इंचार्ज देवेश चौरसिया, मैनेजर सोनिया शुक्ला खत्री के अलावा अस्पताल में दवा सप्लाई करने वाले सपन जैन। उसका साथी राकेश शर्मा। नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन का सौदा करने वाला रीवा निवासी सुनील मिश्रा ,नकली फैक्ट्री का संचालक कौशल वोरा, पुनीता शाह और रेमडेसिविर की शीशियों को किराए पर तैयार करने वाले नागेश उर्फ नागौद जी को आरोपी बनाया गया था।

Supreme Court : आरोपियों पर इन धाराओं में किया गया था केस दर्ज
बता दें कि गुजरात से इंदौर के रास्ते जबलपुर 500 रेमडेसिविर इंजेक्शन पहुंचाए गए थे। इनमें से 465 इंजेक्शन के उपयोग की जानकारी पुलिस को मिल गई थी। वहीं 35 इंजेक्शन को नर्मदा नदी में बहा दिया गया था। पुलिस जांच में यह बात भी सामने आई कि नकली रेमडेसिविर लगने से 16 मरीजों की मौत हुई थी।
पुलिस ने सभी 11 आरोपियों के खिलाफ IPC की धारा 274, 275 ,304 ,308 ,120 बी ,34 आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 53 ,ड्रग कंट्रोल एक्ट ,महामारी अधिनियम और आईटी एक्ट की विभिन्न धाराओं के तहत चालान पेश किया था। बता दें कि अपने ऊपर लगे रासुका के आरोपों के खिलाफ देवेश ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है।
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