Allahabad HC ने ग्राम प्रधान समेत तीन लोगों की हत्या के चार आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया है। इनमें से एक को फांसी व तीन अन्य को आजीवन कारावास की सजा दी गई थी। जिसे हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज मिश्र तथा न्यायमूर्ति समीर जैन की खंडपीठ ने दिया है।
कोर्ट ने कहा अभियोजन पक्ष अभियुक्तों के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं दिखा सका जिससे उनकी घटना में संलिप्तता साबित की जा सके। 19 मार्च 2018 को मथुरा पुलिस की डेल्टा टीम को नगला बरूआ गांव में तीन लाशें पड़ी मिली। ये लाशें सुंदर सिंह, पूर्व प्रधान सत्य प्रकाश और भंवर सिंह की थी। तीनों की गोली मारकर हत्या की गई थी। जिसके बाद पुलिस ने अज्ञात हत्यारों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर विवेचना शुरू की। मामले में चंदन सिंह, काली चरन, करूआ, अनिल, गजराज और भगवती देवी के नाम सामने आए।
ट्रायल कोर्ट ने चंदन सिंह को फांसी की सजा सुनाई
जिसके बाद पुलिस ने सभी लोगों पर मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू की। मामले में चंदन सिंह के निशानदेही पर 315 बोर का तमंचा बरामद किया गया। जिसके बाद हत्या के इस मामले में ट्रायल कोर्ट ने चंदन सिंह को फांसी की सजा सुनाई। जबकि काली चरन, अनिल, गजराज को उम्रकैद की सजा सुनाई। मामले में इन सभी पर आरोप था कि प्रापर्टी विवाद को लेकर इन्होंने तीन लोगों की हत्या की। तीनों हत्याएं गोली मार कर की गई थी और तीनों के शव करीब एक-एक किलोमीटर की दूरी पर पाए गए।
Allahabad HC ने पुलिस जांच पर की टिप्पणी
Allahabad HC ने कहा कि पुलिस ने इस मामले में बेहद सतही तरीके से विवेचना की है। अभियुक्तों के मोबाइल की सीडीआर रिपोर्ट नहीं ली गई जिससे घटना के समय उनकी मौजूदगी के स्थान का पता चल सकता था। बरामद हथियार की बैलेस्टिक जांच भी नहीं कराई गई। जिससे तीनों हत्याओं में संबंध स्थापित किया जा सकता था। कोई चश्मदीद गवाह नहीं है।
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