मिसाइल मैन अब्दुल कलाम की धरती से एक के बाद एक विशाल और शक्तिशाली मिसाइल और रॉकेट बनाकर दुनिया में भारत का लोहा मनवाने वाला इसरो अब विश्व को हिंदुस्तान की एक और सुपरपॉवर से रू-ब-रू कराने जा रहा है। 100 सैटेलाइट एक साथ लॉन्च करके दुनिया में भारत का नाम ऊंचा करने वाला भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, इसरो अगले महीने एक और बड़ी उपलब्धि हासिल करने जा रहा है। भारत अपने सबसे ताकतवर रॉकेट को लॉन्च करने की योजना पर काम कर रहा है। ये रॉकेट अपेक्षाकृत ज्यादा भारी 4 टन के संचार उपग्रह को ले जाने में सक्षम होगा। वर्तमान में सेटेलाइट को मन मुताबिक कक्षा में स्थापित करने के लिए, इस्तेमाल किए जाने वाले इसरो के रॉकेट GSLV मार्क-टू में 2.2 टन वजन तक के सेटेलाइट प्रक्षेपित करने की क्षमता है। इससे पहले ज्यादा वजन के रॉकेट लॉन्च के लिए इसरो को विदेशों पर निर्भर रहना पड़ता है।
इस रॉकेट को भारतीय अंतरिक्ष विज्ञान की दुनिया का ‘गेम चेंजर’ कहा जा रहा है। खबरों के मुताबिक, यह अपने किस्म का पहला स्पेस मिशन होगा।आपको बता दें कि भारत अरबों डॉलर के ग्लोबल सेटेलाइट लॉन्च मार्केट में ज्यादा हिस्सेदारी हासिल करने की दिशा में काम कर रहा है। भारत की कोशिश है कि लॉन्च के लिए अंतरराष्ट्रीय संसाधनों पर निर्भरता कम की जाए। इसरो को उम्मीद है कि वो जियोसिन्क्रोनस सेटेलाइट लॉन्च व्हीकल (GSLV) मार्क-थ्री को जून के पहले हफ्ते में लॉन्च कर पाएगा। इस लॉन्च की कामयाबी से भारत अंतरिक्ष कार्यक्रम में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक और बड़ा कदम बढ़ाएगा।
GSLV MARK III के खास फायदे:
- भारत इस रॉकेट की मदद से भारी भरकम उपग्रहों को भी अंतरिक्ष ले जाने में सक्षम होगा।
- इसकी मदद से भारत ज्यादा वजन वाले संचार उपग्रहों को स्पेस में 36,000 किमी तक स्थापित कर सकेगा।
- यह अंतरिक्ष में जियोस्टेशनरी रेडिएशन स्पेक्ट्रोमीटर (GRASP) ले जाने में सक्षम होगा। जिसकी मदद से चार्ज्ड पार्टिकल्स और अंतरिक्ष यान पर स्पेस रेडिएशन के असर का अध्ययन किया जा सकेगा।