उत्तरप्रदेश में चुनावों के दौरान बिजली का मुद्दा सबसे अहम् था। इसको लेकर आरोप-प्रत्यारोप भी खूब लगाये गए थे। सत्ता में योगी सरकार के आने के बाद बिजली की उपलब्धता बढ़ाने को प्राथमिकता के तौर पर रखा गया है। साथ ही 24 घंटे बिजली आपूर्ति करने की बात भी कही जा रही है लेकिन देश भर की बिजली कंपनियों की जो रैंकिंग आई है उसमे यूपी की कंपनियों की हालत देखकर तो यही लगता है कि सरकार के लिए ऐसे दावे टेढ़ी खीर साबित हो सकते हैं। भारत सरकार के ऊर्जा मंत्रालय की ओर से देश की सभी बिजली कम्पनियों की जो रेटिंग जारी की गई है, उसमें यूपी की सभी बिजली कम्पनियां फिसड्डी साबित हुई हैं। हालांकि यह रेटिंग वर्ष 2015-2016 की है।
ऊर्जा मंत्रालय ने देश की 41 सरकारी बिजली कम्पनियों की वार्षिक रेटिंग जारी की है। इसमें 100 नम्बर को आधार मानकर अलग-अलग ग्रेड दिया गया है। इसमें जिस बिजली कम्पनी को 80 से 100 नम्बर मिले हैं उसे ‘ए-प्लस’, 65 से 80 नम्बर लाने वाली ‘ए’ ग्रेड, 50 से 65 नम्बर लाने वाली ‘बी-प्लस’, 35 से 50 नम्बर पाने वाली को ‘बी’ ग्रेड, वहीं 20 से 35 नम्बर पाने वाली कम्पनियां ‘सी-प्लस’ माना गया है। वहीं सबसे फिसड्डी 0 से 20 नम्बर पाने वाली कम्पनी ‘सी’ ग्रेड में रखी गई हैं।
केंद्र सरकार के उर्जा मंत्रालय द्वारा जारी इस रेटिंग में उत्तर प्रदेश की तीन बिजली कंपनियों को सी ग्रेड मिला है। इन तीन कमपनियों में मध्यांचल विद्युत वितरण निगम, पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम शामिल हैं। इसके अलावा केस्को और पश्चिमांचल कम्पनी को सी प्लस ग्रेड मिला है।
भारत सरकार द्वारा जारी इस ग्रेडिंग के प्रमुख मानकों में उसमें एटीसी हानियों के लिए 28 नम्बर,वित्तीय पैरामीटर के लिए 33 नम्बर रखा गया है। इसी प्रकार बिजली खरीद, सरकार सपोर्ट, अन्य मानकों के लिए भी अलग-अलग नम्बर रखे गए हैं। इस सूचि में देश की 7 कंपनियों को सबसे ज्यादा खराब ग्रेडिंग मिली है। जिसमें 3 कम्पनियां यूपी की ही हैं। देश में पहले पायदान पर गुजरात और उत्तराखण्ड राज्य की बिजली कम्पनियां हैं। उन्हें ए-प्लस ग्रेड मिला है।