BJP MP Gopal Shetty ने Bhagwat Gita को शैक्षणिक संस्थानों में पढ़ाए जाने को लेकर सरकार की तरफ से उठाए गए कदमों की जानकारी के लिए संसद में सवाल किया। उन्होंने पूछा कि सरकार द्वारा देश में सभी विद्यालयों महाविद्यालयों और तकनीकी/चिकित्सा संस्थानों में Bhagwat Gita को पढ़ाए जाने लिए कोई कदम उठाए गए हैं या नहीं?
Bhagwat Gita को लेकर सरकार ने क्या दिया जवाब?
उनके सवाल का जवाब देते हुए संसद में मंत्रालय की तरफ से कहा गया है कि राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने सूचित किया है कि Bhagwat Gita’ से संबंधित सामग्री पहले से ही इसकी कक्षा XI और XII की संस्कृत पाठ्य पुस्तकों में शामिल की गई है। इसके अलावा, सामाजिक विज्ञान के तहत कक्षा VI के लिए एनसीईआरटी की इतिहास पाठ्य पुस्तक अर्थात् हमारे अतीत में भक्ति आंदोलन संबंधित व्यापारी, राजा और तीर्थयात्री विषय में श्रीमद्भगवत गीता का संदर्भ दिया गया है। इसी तरह, सातवीं कक्षा की पाठ्यपुस्तक हमारे अतीत-11′ में भी ‘ईश्वर से अनुराग विषय में श्रीमद्भगवद् गीता को स्थान प्रदान किया गया है।
शिक्षा समवर्ती सूची का विषय है
शिक्षा, संविधान की समवर्ती सूची में एक विषय होने के नाते, और अधिकांश स्कूल राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में होने के नाते, यह राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों के दायरे में है कि ये राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (एनसीएफ) को ध्यान में रखते हुए अपने स्कूलों में पढ़ाये जाने वाली सामग्री / विषयों के बारे में निर्णय लें।
यूजीसी का क्या है जवाब?
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने सूचित किया है कि विश्वविद्यालय संबंधित केंद्रीय / प्रांतीय/राज्य अधिनियम के तहत निर्मित/निगमित स्वायत संस्थान हैं, जो अपने स्वयं के अधिनियमों, संविधियों और उसके तहत बनाए गए अध्यादेशों / विनियमों द्वारा शासित होते हैं, इसलिए इन्हें अपने सांविधिक निकायों के उचित अनुमोदन के साथ किसी भी कार्यक्रम के लिए पाठ्यक्रम संबंधी निर्णय लेने की स्वायतता है। हालांकि, श्रीमद्भगवद् गीता को योग विषय के लिए यूजीसी नेट परीक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल है।
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