Myanmar की सेना द्वारा State Counsellor की पद से हटाई गई Aung San Suu Kyi को चार साल की जेल की सजा सुनाई गई है। उन्हें प्राकृतिक आपदा कानून (Natural Disasters Law) के तहत कोविड नियमों को तोड़ने के आरोप में दोषी पाया गया था। सू ची पर कुल मिलाकर 11 आरोप हैं जिसको उन्होंने बेबुनियाद बताया है। फरवरी के महीने में म्यांमार में सेना द्वारा तख्तापलट करने के बाद से वे नजरबंद हैं। बता दें कि इस साल की शुरूआत में सेना ने Myanmar में नागरिक द्वारा चुनी सरकार को गिरा दी थी।
Delhi University से पढ़ाई की
आंग सान सू आधुनिक म्यांमार के राष्ट्रपिता आंग सान की सबसे छोटी बेटी है। उन्होंने 1964 में Delhi University और 1968 मेें Oxford University से स्नातक होने के बाद तीन साल तक United Nations में काम किया था। हमारे देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के अहिंसा के सिद्धांत और बौद्ध अवधारणाओं से प्रभावित होके आंग सान सू की ने democratization के लिए काम करने के लिए राजनीति में प्रवेश किया था।
1988 में NLD की महासचिव बनीं।
आंग सान सू की 8 अगस्त 1988 के 8888 विद्रोह में प्रमुखता से उभरीं और NLD की महासचिव बनीं। National League for Democracy को उन्होंने कई सेवानिवृत्त सेना अधिकारियों की मदद से बनाया था जिन्होंने सैन्य जुंटा की आलोचना की थी।
1990 के चुनावों में शानदार जीत
म्यांमार में 1990 के चुनावों में एनएलडी ने बहुत ही शानदार प्रदर्शन किया और संसद में 81% सीटें जीतीं लेेकिन परिणाम शून्य हो गए क्योंकि सैन्य सरकार ( (the State Peace and Development Council – SPDC) ने सत्ता सौंपने से इनकार कर दिया और जिसके कारण एक अंतरराष्ट्रीय आक्रोश हुआ। विद्रोह करने के लिए आंग सान सू की को 1989 से लेकर 2010 तक 21 वर्षों में से लगभग 15 वर्षों तक नजरबंद रखा गया था।
इतने साल तक नजरबंद होने के चलते वो दुनिया के सबसे प्रमुख राजनीतिक कैदियों में से एक बन गईं। आंग सान सू की को 1991 का नोबेल शांति पुरस्कार मिला था। 1999 में टाइम पत्रिका ने उन्हें “गांधी के बच्चों” (“Children of Gandhi”) में से एक और अहिंसा के उनके आध्यात्मिक उत्तराधिकारी का नाम दिया था।
2016 में State Counsellor बनीं
2015 के चुनावों में उनकी पार्टी ने बहुत शानदार जीत हासिल की और विधानसभा की 86% सीटों पर कब्जा किया। हालांकि संविधान में एक clause के कारण वो देश की राष्ट्रपति नहीं बन पाई थीं। वो 1 अप्रैल 2016 को State Counsellor बनी और करीब 5 साल बाद 1 फरवरी 2021 को उन्हें 2021 म्यांमार तख्तापलट के दौरान सेना द्वारा गिरफ्तार और उनके पद से हटा दिया गया।
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