Bhima Koregaon Case में बंद सुधा भारद्वाज को बॉम्बे हाईकोर्ट ने डिफॉल्ट जमानत दे दी है। इसके साथ ही कोर्ट ने इस मामले में आगे की सुनवाई के लिए उन्हें एनआईए की विशेष अदालत में जाने को कहा है।
अब सुधा भारद्वाज के जेल से रिहाई का मामला 8 दिसंबर को एनआईए की विशेष अदालत में पेश होगा, जहां उनकी जमानत की शर्तों पर कोर्ट अपना फैसला सुनाएगी।
अन्य 8 आरोपियों की जमानत खारिज
बॉम्बे हाईकोर्ट ने सुधा भारद्वाज की जमानत याचिका पर जो उदारता दिखाई वो अन्य आरोपियों के मामले में नहीं दिखाई दी। हाईकोर्ट ने सुधा भारद्वाज को छोड़कर भीमा कोरेगांव मामले में सलाखों के पीछे बंद अन्य आठ लोगों की जमानत याचिका खारिज कर दी।
बॉम्बे हाईकोर्ट में सुधा भारद्वाज के अलावा सुधीर दवाले, डॉ वरवरा राव, प्रोफेसर शोमा सेन, महेश राउत, सुरेंद्र गाडलिंग, रोना विल्सन समेत कुल 8 लोगों ने जमानत याचिका की अर्जी लगाई थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया है।
सुधा भारद्वाज ने 90 की अवधि में आरोपपत्र दाखिल न होने को जमानत का आधार बताया
सुधा भारद्वाज ने डिफॉल्ट बेल के लिए बीते जुलाई महीने में बॉम्बे हाईकोर्ट में अर्जी दायर की थी। सुधा भारद्वाज की ओर से कोर्ट में जमानत पर यह दलील दी गई थी कि गिरफ्तारी के नब्बे दिनों के भीतर उनके खिलाफ सक्षम जांच एजेंसी ने कोई चार्जशीट दाखिल नहीं है। इस वजह से वो डिफॉल्ट जमानत पाने की हकदार हैं।
गौरतलब है कि पुणे पुलिस ने जनवरी 2018 में भीमा कोरेगांव में हुई हिंसा के मामले में जानमानी सामाजिक कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज को दिल्ली से सदे फरीदाबाद से गिरफ्तार किया था। पुलिस ने सुधा भारद्वाज को अगस्त 2018 में गिरफ्तार किया था।
पुलिस के आरोपों के मुताबिक सुधा भारद्वाज प्रतिबंधित संगठन सीपीआई (माओवादी) की सदस्य हैं और उसकी कई हिंसक गतिविधियों में संलिप्त रही हैं।
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