इलाहाबाद हाईकोर्ट ने छापे में बरामद 4 लाख 300 रुपये हकदार को वापस करने के मामले में न्यायिक मजिस्ट्रेट देवरिया को तीन माह में निर्णय लेने का निर्देश दिया है। जब्त राशि याची को वापस करने से इंकार करने के मजिस्ट्रेट व सत्र न्यायालय के आदेशों को रद्द कर दिया है।
निचली अदालत ने कहा था कि रुपए केस की विषयवस्तु है
कोर्ट ने कहा था कि बरामद रूपया केस की विषयवस्तु है इसलिए याची को सुपुर्द नहीं किया जा सकता। यह आदेश न्यायमूर्ति गौतम चौधरी ने राम आशीष यादव की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है। मालूम हो कि याची पर पुलिस छापा पड़ा। छापे में 4लाख 3 हजार रुपए जब्त किए गए। कहा गया है कि ये रुपये अवैध शराब बिक्री के हैं। ये रुपये न विवेचन में ,न ही विचारण में पेश किए गए।
संपत्ति अधिनियम की धारा 457के अनुसार यदि जब्त संपत्ति आपराधिक केस की सुनवाई में पेश नहीं की जाती है तो उस संपत्ति को उसके मालिक को वापस कर दिया जाता है। याची ने बरामद रुपए वापस करने की अर्जी दी। याची ने का कि रुपए कोर्ट में पेश नहीं हुए हैं। किन्तु मजिस्ट्रेट ने कहा कि रुपये केस की विषयवस्तु है। वापस नहीं कर सकते। अर्जी खारिज कर दी।
हाईकोर्ट ने कहा कि नए सिरे से आदेश दिया जाए
पुनरीक्षण अर्जी भी सत्र न्यायालय ने याचिका खारिज कर दी जिसे चुनौती दी गई थी। कोर्ट ने कहा कि मजिस्ट्रेट को संपत्ति पर जिसका हक है उसे वापस करना चाहिए। कोर्ट ने निचली अदालतों के आदेश रद्द कर दिये और नये सिरे से धारा 457के तहत निर्णय लेने का निर्देश दिया है।
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