भारत की आयरन लेडी के नाम से प्रसिद्ध पूर्व प्रधानमंत्री Indira Gandhi की आज जयंती है। उनकी जयंती के अवसर पर बहुत सारे लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके देश के लिए दिए योगदान को याद किया। पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु के बाद इंदिरा गांधी भारत की प्रधानमंत्री बनी थीं। जब वह भारत की प्रधानमंत्री बनीं तो कांग्रेस पार्टी तक विभाजित हो गई थी लेकिन सभी बाधाओं को पार करते हुए वे भारत की सबसे मजबूत प्रधानमंत्री साबित हुईं।

व्यक्तिगत जीवन
इंदिरा गांधी का जन्म 19 नवंबर 1917 को उत्तर प्रदेश के आनंद भवन में हुआ था। इंदिरा गांधी भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की बेटी थीं। उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा इलाहाबाद में ही प्राप्त की और ऑक्सफोर्ड और शांति निकेतन से भी पढ़ाई की थी। 1942 में उनकी शादी फिरोज गांधी से हुई थी। इंदिरा गांधी और फिरोज गांधी के दो बेटे राजीव और संजय हुए। 1960 में उनके पति की मृत्यु हो गई थी।
राजनीतिक जीवन
अपने प्रारंभिक जीवन से ही इंदिरा गांधी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की सदस्य रहीं। 1959 में उन्हें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पार्टी अध्यक्ष के रूप में चुना गया था। अपने पिता पंडित जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु के बाद वह सूचना और प्रसारण मंत्री बनीं। तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु के बाद वो 1966 में भारत की प्रधानमंत्री बनीं और 17 वर्षों तक प्रधानमंत्री रहीं।

साहसिक फैसले लिए
जब वह भारत की प्रधानमंत्री थीं तो उन्होंने देश को और अधिक ऊंचाइयों तक पहुंचाया। 1971 में उनके नेतृत्व में भारत ने पाकिस्तान को युद्ध में हराकर उसके दो टुकड़े कर दिए। इसके साथ उन्होंने 1970 में बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया और सभी प्रिवी पर्स को समाप्त कर दिया। जब 1975 में विपक्षी दल जस्टिस सिन्हा के ऐतिहासिक फैसले को लेकर उन पर आक्रामक हुए तो उन्हें देश में विरोध के प्रभाव को बेअसर करने के लिए आंतरिक आपातकाल की घोषणा कर दी। इसलिए उन्हें 1977 में हार का सामना करना पड़ा। लेकिन ढाई साल तक सत्ता से दूर रहने के बाद वो जनवरी 1980 में मध्यावधि चुनाव में वापस प्रधानमंत्री बन गयीं।

बेहद दर्दनाक अंत
1980 में सत्ता में वापस लौटने के बाद उन्हें और भी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। पंजाब में खालिस्तान की मांग बढ़ रही थी और इस चीज ने उन्हें बेचैन कर दिया था। कुछ ऐसी स्थितियां बनी की उन्हें स्वर्ण मंदिर पर सेना को रेस्क्यू ऑपरेशन करने और मंदिर को आतंकवादियों से मुक्त करने का आदेश देना पड़ा। ऑपरेशन ब्लू स्टार के परिणामस्वरूप 31 अक्टूबर 1984 को उनके ही दो सुरक्षा गार्डों ने उनके आवास पर उनकी गोली मारकर हत्या कर दी थी और हमारे देश की महान प्रधानमंत्री ने दुनिया को अलविदा कह दिया।
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