देश में आज भी कई जगह ऐसी है जहां लोग अन्न के दाने-दाने के लिए तरस रहे हैं लेकिन वहीं कुछ लोग ऐसे भी हैं जो खाने की बर्बादी करते हैं। ऐसा कई बार होता है कि हम कभी किसी होटल में जाकर खाने के लिए मंगाते हैं और खाना खाकर बचा हुआ खाना छोड़ देते हैं जिससे अन्न की बर्बादी होती है।
अब ऐसे खाने की बर्बादी को लेकर सरकार एक बहुत ही विशेष कदम उठाने के प्रयासों में जुटी हुई है। इस प्रयास के चलते होटल और रेस्टोरेंट्स में होने वाले खाने की बर्बादी पर रोक लगेगी। दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में खाने की बर्बादी को लेकर गंभीर चिंता जाहिर की थी। पीएम मोदी ने कहा था कि यह बर्बादी गरीबों के खिलाफ अन्याय है। उन्होंने कहा था कि लोग खाना बर्बाद न करें, थाली में जूठन न छोड़ें, हम उतना ही खाना लें, जितना खा सकें। पीएम मोदी द्वारा चिंता जाहिर करने के बाद करीब पन्द्रह दिनों के भीतर ही एनडीए सरकार आवश्यक कदम उठाते हुए स्टार होटलों और रेस्टोरेंट्स में परोसे जाने वाले खाने की मात्रा को निर्धारित करने पर विचार कर रही है। खाने की बर्बादी के मुद्दे पर उपभोक्ता मामलों और खाद्य आपूर्ति मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि अगर किसी व्यक्ति को सिर्फ दो इडली की भूख है तो ऐसे में उसे चार इडली क्यों दी जाए? और अगर कोई दो रोटी खा सकता है तो फिर उसे छह रोटी क्यों दी जाए? इन चीजों से न सिर्फ खाने की बर्बादी होती है बल्कि इससे पैसै की भी बर्बादी होती है। होटल और रेस्टोरेंट्स में इंसान को उस खाने के भी पैसे चुकाने पड़ते हैं जो उसने खाया भी नहीं है।
इन सबके बाद मंत्रालय यह तय कर रहा है कि होटलों और रेस्टोरेंट्स में ग्राहक से यह पूछा जा सके की उसके खाने की मात्रा क्या होगी। रामविलास पासवान ने यह साफ तौर पर बताया कि यह निर्देश ढाबों और खाने की अन्य जगहों पर लागू न होते हुए केवल स्टैंडर्ड होटलों में ही लागू किया जाएगा। पासवान का यह बयान उस फैसले के बाद आया है जिसमें खाद्य आपूर्ति मंत्रालय की तरफ उपभोक्ता को ध्यान में रखते हुए खाद्य संरक्षण कानून में संशोधन करने को लेकर नए ड्राफ्ट बिल में प्रस्तावों को जोड़ा गया है।
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