Imran Pratapgarhi Case: सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस के राज्यसभा सांसद इमरान प्रतापगढ़ी के खिलाफ दर्ज मुकदमे को लेकर गुजरात सरकार को सलाह दी है कि उसे इस केस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि जिस कविता को लेकर मामला दर्ज हुआ है, उसका सही संदर्भ में विश्लेषण किया जाना जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि यह कविता किसी धर्म के विरोध में नहीं है, बल्कि इसका मकसद अहिंसा और शांति का संदेश देना था।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, 2 जनवरी 2025 को जामनगर में एक सामूहिक विवाह कार्यक्रम में शामिल होने के बाद इमरान प्रतापगढ़ी ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया था। इस पोस्ट में “ऐ खून के प्यासे लोगों सुनो…” जैसी पंक्तियों वाली एक कविता का ऑडियो बैकग्राउंड में चल रहा था। इसे लेकर जामनगर के निवासी किशनभाई नंदा ने 3 जनवरी को एफआईआर (FIR) दर्ज करवाई। शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि इस कविता के माध्यम से सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश की गई।
गुजरात पुलिस ने इस मामले में भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 196 और 197 लगाई। बता दें कि इस इन धाराओं के तहत दोषी पाए जाने पर 5 साल तक की सजा हो सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
इस मामले को लेकर 21 जनवरी 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने इमरान प्रतापगढ़ी को अंतरिम राहत दी और गुजरात सरकार को उनके खिलाफ किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई पर रोक लगाने के निर्देश दिए। साथ ही, गुजरात सरकार और शिकायतकर्ता किशनभाई नंदा को नोटिस जारी कर जवाब मांगा।
10 फरवरी 2025 को जब यह मामला दोबारा सुप्रीम कोर्ट की बेंच में जस्टिस अभय एस. ओका की अध्यक्षता में पेश हुआ, तो गुजरात सरकार के वकील ने कोर्ट से उत्तर दाखिल करने के लिए और समय मांगा। कोर्ट ने इसे स्वीकार करते हुए कहा कि पहले कविता के वास्तविक अर्थ को समझना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि यह कविता किसी धर्म विशेष के खिलाफ नहीं, बल्कि इसका उद्देश्य अहिंसा और शांति को बढ़ावा देना था।
गुजरात हाई कोर्ट में क्यों गया मामला?
एफआईआर रद्द करवाने के लिए इमरान प्रतापगढ़ी ने पहले गुजरात हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। उन्होंने दलील दी कि उनका मकसद शांति और प्रेम को बढ़ावा देना था और उनकी कविता को गलत संदर्भ में लिया गया।
हालांकि, गुजरात हाई कोर्ट के जस्टिस संदीप भट्ट की बेंच ने इस याचिका को खारिज कर दिया। हाई कोर्ट ने कहा कि मामले की जांच अभी शुरुआती दौर में है और इमरान प्रतापगढ़ी एक सांसद होने के नाते जिम्मेदारी से कानूनी प्रक्रिया का पालन करें।
क्या होगा आगे?
अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है और गुजरात सरकार को अपना जवाब दाखिल करना है। कोर्ट की अगली सुनवाई में यह तय हो सकता है कि इमरान प्रतापगढ़ी के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द किया जाएगा या जांच जारी रहेगी।
अब देखना होगा कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में आगे क्या फैसला सुनाता है और गुजरात सरकार की ओर से क्या जवाब दाखिल किया जाता है।
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