पुष्पक एक्सप्रेस हादसा: अफवाहों ने कैसे बिगाड़ दी स्थिति और मचाई तबाही, जानें

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पुष्पक एक्सप्रेस हादसा
पुष्पक एक्सप्रेस हादसा

महाराष्ट्र के जलगांव में हाल ही में पुष्पक एक्सप्रेस में आग लगने की अफवाह के चलते एक बड़ा हादसा हुआ, जिसमें 13 लोगों की जान चली गई और कई यात्री घायल हो गए। यह घटना रेलवे प्रशासन और यात्रियों के लिए एक बड़ा सबक है कि किस प्रकार छोटी सी अफवाह भी बड़े हादसे का रूप ले सकती है। यात्रियों में अचानक मची भगदड़ और घबराहट ने इस त्रासदी को और भी गंभीर बना दिया। यह हादसा भारतीय रेलवे के सुरक्षा मानकों पर सवाल उठाता है और इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाने की आवश्यकता को रेखांकित करता है। इस घटना ने 31 साल पहले बोरीवली-कांदिवली लेडीज स्पेशल ट्रेन में हुई त्रासदी की यादें ताजा कर दीं, जब भयभीत महिलाओं ने चलती ट्रेन से छलांग लगा दी थी। इस तरह की घटनाएं यात्रियों की सुरक्षा के लिए एक चुनौती पेश करती हैं और उनके मनोवैज्ञानिक प्रभाव लंबे समय तक बने रहते हैं।

पुष्पक एक्सप्रेस हादसे का घटनाक्रम

पुष्पक एक्सप्रेस लखनऊ से मुंबई जा रही थी और बुधवार शाम 4 बजकर 42 मिनट पर जलगांव के पचोरा रेलवे स्टेशन के पास पहुंची। तभी यह अफवाह फैल गई कि ट्रेन की बोगी नंबर-4 में आग लग गई है। इस अफवाह से यात्रियों में भगदड़ मच गई और उन्होंने ट्रेन से उतरकर भागने की कोशिश की। इसी दौरान विपरीत दिशा से आ रही तेज रफ्तार कर्नाटक एक्सप्रेस ने कई यात्रियों को रौंद दिया। इस हादसे में 13 लोगों की मौत हो गई और कई घायल हो गए।

सरकार द्वारा घोषित मुआवजा

सरकार ने इस दुखद घटना पर संवेदना व्यक्त करते हुए पीड़ितों के लिए मुआवजे की घोषणा की है। मृतकों के परिवारों को 1.5 लाख रुपये की सहायता दी जाएगी, गंभीर रूप से घायलों को 50-50 हजार रुपये और अन्य घायलों को 5-5 हजार रुपये का मुआवजा दिया जाएगा।

1993 की बोरीवली-कांदिवली लेडीज स्पेशल ट्रेन हादसा

13 अक्टूबर 1993 को मुंबई की बोरीवली-कांदिवली लेडीज स्पेशल ट्रेन में भी ऐसी ही भयावह घटना घटी थी। उस समय फर्स्ट क्लास कंपार्टमेंट में सफर कर रही महिलाओं को ट्रेन के नीचे से धुआं निकलता नजर आया, जिससे वे घबरा गईं और चलती ट्रेन से कूद पड़ीं। इस हादसे में 22 महिलाओं की जान चली गई थी। घटना के दिन मुंबई में भारी बारिश हो रही थी, जिससे अफरा-तफरी और बढ़ गई थी।

पुष्पक एक्सप्रेस हादसे ने भारतीय रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। 31 साल पहले हुई त्रासदी से कोई सबक न लिए जाने के कारण इस तरह की घटनाएं दोबारा सामने आ रही हैं। रेलवे प्रशासन को यात्रियों में जागरूकता फैलाने के साथ-साथ सुरक्षा उपायों को और मजबूत करने की आवश्यकता है, ताकि इस प्रकार की घटनाओं को रोका जा सके।