DeepFake: इन दिनों सोशल मीडिया पर डीपफेक को लेकर चर्चा जोरों पर है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के इस दौर में ये काफी तेजी से दुनियाभर में फैल रहा है। चाहे फिर वो ओबामा या पुतिन हों या मनोज और रश्मिका हों। ये एक अनियंत्रित टेक्नोलॉजी से हुए नुकसान को दिखाता है।
ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर डीपफेक क्या है और कैसे काम करता है? वहीं, क्या डीपफेक से बचा भी जा सकता है? इस स्टोरी में हम इन्हीं सब सवालों के जवाब आपको देंगे।
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DeepFake: क्या है डीपफेक, कैसे करता है काम?
किसी रियल वीडियो में दूसरे के चेहरे को एडजस्ट कर देने को डीपफेक के नाम से जाना जाता है। ‘Deep Learning’ और ‘Fake’ के मेल से बना शब्द है। डीपफेक वीडियो और फोटो दोनों रूप में हो सकता है। इसमें मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से तैयार किया जाता है।
डीप लर्निंग में कंप्यूटर को दो वीडियोज या फोटो दिए जाते हैं जिन्हें देखकर वह खुद ही दोनों वीडियो या फोटो को एक ही जैसा बनाता है। यह ठीक उसी तरह है जैसे बच्चा किसी चीज की नकल करता है।
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साधारण शब्दों में समझें, तो इस टेक्नोलॉजी कोडर और डिकोडर टेक्नोलॉजी की मदद ली जाती है। डिकोडर सबसे पहले किसी इंसान के चेहरे को हावभाव और बनावट की गहन जांच करता है। इसके बाद किसी फर्जी फेस पर इसे लगाया जाता है, जिससे हुबहू फर्जी वीडियो और फोटो को बनाया जा सकता है। डीपफेक फोटो-वीडियोज फेक होते हुए भी रियल नजर आते हैं।
DeepFake: कैसे होगा बचाव?
डीपफेक वीडियो को फेशियल एक्सप्रेशन से पहचाना जा सकता है। फोटो और वीडियो के आईब्रो, लिप्स को देखकर और उसके मूवमेंट से भी पहचान की जा सकती है।
केंद्र सरकार जल्द ही ऐसी सामग्री के खिलाफ उचित कार्रवाई करने के लिए एक अधिकारी नियुक्त करेगी। इसमें शामिल मध्यस्थ के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाएगी। अगर वे यह खुलासा करते हैं कि सामग्री कहां से आई है तो उसे पोस्ट करने वाले के खिलाफ मामला दर्ज किया जाएगा।
बता दें, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को अपनी उपयोग की शर्तों को आईटी नियमों के अनुरूप करने के लिए सात दिन का समय दिया गया है। ये जानकारी केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने मीडिया से साझा की है।
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